What are body dysmorphia disorder symptoms and treatment?
Body dysmorphia disorder: जितनी तेज़ी से समय बदल रहा है उतनी ही तेज़ी से बच्चे टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया से जुड़ रहे हैं, जिसके कारण उनके मन में अपने शरीर को लेके ग़लतफ़हमियां बढ़ती जा रही हैं. इसे ही बॉडी डिस्मॉर्फिया डिसऑर्डर (BDD) कहते हैं. यह एक गंभीर मानसिक समस्या है जिसमें बच्चा अपने शरीर के किसी अंग को लेकर अत्यधिक चिंता करने लगता है, जबकि वह अंग सामान्य होता है या उस कमी को कोई और नहीं देख पाता.
क्या बॉडी डिस्मोर्फिया डिसऑर्डर(Body dysmorphia disorder)?
साइकोलॉजिस्ट डॉ रिज़वाना ने बताया कि जब बच्चा अपने शरीर के किसी छोटे से भाग को लेकर जरूरत से ज़्यादा चिंता करने लगता है – जैसे नाक का आकार, त्वचा पर कोई दाग धब्बे, बालों की बनावट, अपने रंग से, अपने क़द से और यह सब छोटी बातें उन्हें इतनी बड़ी लगने लगती हैं कि उनका पूरा ध्यान उसी में ही लगा रहता है, तो इसे ही बॉडी डिस्मॉर्फिया डिसऑर्डर कहते हैं. असल में यह कोई साधारण परेशानी नहीं बल्कि मानसिक समस्या है, जो बच्चे की दिनचर्या और आत्मविश्वास दोनों पर असर डालती है.
यह परेशानी बच्चों में कैसे आती है?
- साइकोलॉजिस्ट डॉ रिज़वाना ने बताया कि बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो फिल्मी सितारों को या सोशल मीडिया इंफ़्लुएंसर्स को देख कर यह सोचते हैं की खूबसूरत दिखने के लिए हमारा शरीर पतला होना चाहिए, हमारी त्वचा गोरी होनी चाहिए, और हमारा फेस परफेक्ट होना चाहिए मतलब बिना दाग धब्बों के.
- बहुत से घरवाले ऐसे होते हैं जो बच्चे को किसी शारीरिक कमी होने के कारण खूब ताने देते हैं और स्कूल में भी बच्चे का मजाक बनाया जाता है जो की बच्चे के मन में डर पैदा कर देता है.
- बहुत से बच्चे स्वभाव से ही sensitive (संवेदनशील) होते हैं, जिन्हें अपने बारे में हर छोटी बात भी बुरी लग जाती है.
- कभी कभी घर के लोग या कोई रिश्तेदार बिना सोचे समझे बच्चे के शरीर के बनावट पर टिप्पणी कर देते हैं जैसे (बेटा तुम तो बहुत पतली हो कुछ खाया पिया करो, या तुम तो बहुत काली हो कोई क्रीम लगाया करो), जिससे बच्चा ख़ुद को कम योग्य समझने लगता है.
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- जब बच्चा बहुत ज़्यादा शीशा देखे या अपनी फोटो को बार बार देख के कमियाँ निकाले.
- बहुत से बच्चे दूसरों से पूछते हैं कि क्या वह अच्छा दिख रहा है या नहीं.
- बार बार नए कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते है या ऐसे कपड़े पहनते है जिससे उनका शरीर छुप जाए.
- बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है और आत्मविश्वास भी कम हो जाता है.
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इसका समाधान क्या है?
- माता पिता को अपने बच्चों से खुलकर बात करना चाहिए उन्हें जानना चाहिए कि वो क्या सोच रहे हैं. और उन लोगों को उन्हें शरीर के बार में डाटने की या ताना मारने की भी जरूरत नहीं है. बच्चों को यह विश्वास दिलाये की वो जैसे है वैसे ही अच्छे हैं उनमे कोई भी खराबी नहीं है.
- बच्चों को सोशल मीडिया का सही उपयोग करना सिखायें ताकि वो सोशल मीडिया पर दिखने वाली चीज़ों को रियलिटी ना माने.
- घर में सुंदरता के stereotypes को ख़त्म करें, और बच्चों को यह समझायें की असली सुंदरता उनका आत्मविश्वास है.
- अगर समस्या ज़्यादा बढ़ जाये तो किसी काउन्सलर या मनोवैज्ञानिक की मदद लें क्योंकि काउंसलिंग और थेरेपी से बच्चा धीरे धीरे अपने विचारों में परिवर्तन कर सकता है.
बॉडी डिस्मॉर्फिया डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या है, लेकिन उसकी सही देखभाल और प्यार उसे आसानी से ठीक कर सकता है, क्योंकि बच्चों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत प्यार और स्वीकारती की होती है. उन्हें यह भरोसा दिलाइए की सुंदरता केवल शरीर को परफेक्ट में नहीं बल्कि आत्मविश्वास, मुस्कान और अच्छाई में होती है.
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