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तू कपड़े फैला दे, मैं सब्ज़ी काट देती हूं : Partnership

रिश्तों को समझें: शादी महज़ एक रस्म नहीं, दो लोगों के जीवन का एक नया अध्याय होती है. शुरुआत में जो रिश्ता रोमांस, सरप्राइज और लंबी बातें वाला होता है, वह धीरे-धीरे रूटीन, जिम्मेदारियों और समझौतों से भर जाता है. लेकिन यह बदलाव जरूरी भी है और नेचुरल भी.

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प्यार से आगे – अब साथ जीने की असली शुरुआत  

शादी से पहले का रोमांस अक्सर बिना ज़िम्मेदारियों के होता है – सिर्फ साथ बिताने की चाहत. लेकिन शादी के बाद साथ जीने का मतलब होता है – बिल भरना, परिवार को संभालना, करियर और घर को बैलेंस करना.

कपल थेरेपिस्ट डॉ. अनुजा शाह कहती हैं, “रिश्ते में प्यार कम नहीं होता, उसका रूप बदलता है – अब वो खाना साथ बनाना, थके होने पर एक-दूसरे की मदद करना और फैसले मिलकर लेना बन जाता है.”

रोमांस रुकता नहीं, बस बदलता है

शादी के शुरुआती कुछ महीनों या सालों में हनीमून फेज़ होता है – सब कुछ नया, सब कुछ खास. फिर धीरे-धीरे काम और दिनचर्या हावी हो जाती है. लेकिन…

  • एक कप चाय साथ पीना
  • वॉशिंग मशीन चलाते हुए हल्की मस्ती
  • दिनभर की थकान के बाद एक सिर दबाना

…ये भी अब रिश्ते में रोमांस ही है, बस फिल्मी नहीं – सच्चा.

इंटिमेसी का बदलाव – भावनात्मक कनेक्शन ज्यादा अहम

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शारीरिक संबंधों की प्राथमिकता समय और ज़िम्मेदारियों के साथ बदल सकती है. लेकिन इंटिमेसी सिर्फ फिजिकल नहीं होती – मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव भी उतना ही जरूरी है.

डॉ. शाह कहती हैं, “अगर कपल खुलकर बात करें, एक-दूसरे के थकने, मूड या ज़रूरतों को समझें – तो रिश्ते में एक गहराई आती है.”

जिम्मेदारियां बढ़ती हैं, पर साथ में रिश्ता भी मजबूत होता है

घर की जिम्मेदारियां, बच्चों की परवरिश, दोनों की नौकरी – ये सब तनाव ला सकते हैं. लेकिन यही साझी ज़िम्मेदारियां कपल को एक टीम बनाती हैं.

“तू कपड़े फैला दे, मैं सब्ज़ी काट देती हूं” – यही सच्चा पार्टनरशिप है.

कैसे बनाए रखें रिश्ते की गर्माहट?

  • कम्युनिकेशन : हर दिन 10-15 मिनट बिना फोन के सिर्फ एक-दूसरे से बात करें.
  • सरप्राइज्स : कभी-कभी एक मैसेज, एक फूल या साथ में चॉकलेट खाना भी दिल जोड़ सकता है.
  • स्पेस देना सीखें : रिश्ते में जगह होना भी ज़रूरी है – एक-दूसरे के हॉबीज़ या दोस्तों का सम्मान करें.
  • टीमवर्क : “तेरा-मेरा” नहीं, “हमारा” नजरिया रखें.

शादी के बाद प्यार खत्म नहीं होता, बल्कि एक नए रूप में आता है. ज़िम्मेदारी, भरोसे और समझ के साथ. रोमांस अब फैंसी डेट से नहीं, एक साथ खामोशी से बैठने में है. अगर कपल्स इस बदलाव को स्वीकार करें और रिश्ते को नया रंग देते रहें, तो रूटीन में भी रोमांस जिंदा रहता है.

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