Relationship Tips: शादीशुदा जिंदगी में मतभेद आम हैं, लेकिन जब बात बच्चों के पालन-पोषण की हो, तो यह असहमति गहरी हो सकती है . चाहे वह पढ़ाई का तरीका हो, मोबाइल इस्तेमाल का नियम, या अनुशासन का तरीका — माता–पिता के अलग-अलग विचार बच्चे के विकास पर सीधा असर डाल सकते हैं . Relationship Tips: Romance को जिंदा रखने के 5 तरीके
मतभेद क्यों होते हैं?
- परवरिश की अलग पृष्ठभूमि – एक का पालन-पोषण सख्त माहौल में हुआ, दूसरे का उदार वातावरण में .
- सांस्कृतिक और पीढ़ीगत फर्क – खासकर संयुक्त परिवार में, जहां दादा-दादी की राय भी शामिल होती है .
- जीवनशैली और प्राथमिकताओं में अंतर – शिक्षा, खेल, कला या करियर को लेकर अलग सोच .
- अनुभव और जानकारी का असंतुलन – एक अभिभावक रिसर्च और सलाह पर भरोसा करता है, दूसरा अपने अनुभव पर .
विशेषज्ञों की राय
डॉ. नीतू गुप्ता , चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, एम्स दिल्ली, “बच्चों के सामने खुले विवाद से बचना चाहिए . यह उनके आत्मविश्वास को प्रभावित करता है . मतभेदों पर निजी तौर पर चर्चा करें और एक समान रुख अपनाकर बच्चे के सामने पेश हों .”
आदित्य मेहता, पेरेंटिंग कोच, मुंबई , “पेरेंटिंग में एक टीम के रूप में काम करना जरूरी है . आपसी संवाद और स्पष्ट भूमिकाएं तय करने से गलतफहमियां कम होती हैं . उदाहरण के लिए, एक माता-पिता पढ़ाई की देखभाल करें और दूसरा खेल-कूद व हॉबी को संभाले .”
डॉ. मनीषा तिवारी, समाजशास्त्री, लखनऊ विश्वविद्यालय, “संयुक्त परिवार में बच्चों के पालन-पोषण पर मतभेद पीढ़ीगत सोच से जुड़ते हैं . यहां जरूरी है कि माता–पिता अपनी प्राथमिकताओं पर स्पष्ट रहें और बड़े-बुजुर्गों से सम्मानपूर्वक संवाद करें, ताकि एक ही दिशा में परवरिश हो .”
रीमा कपूर, स्कूल काउंसलर, दिल्ली पब्लिक स्कूल, “स्कूल में हम देखते हैं कि जब माता–पिता के निर्देश अलग-अलग होते हैं, तो बच्चे कन्फ्यूज हो जाते हैं और कई बार इसका फायदा उठाकर वे अनुशासन से बच निकलते हैं . एक समान नियम और निरंतरता बेहद जरूरी है .”
मतभेद सुलझाने के तरीके
- खुले संवाद – एक-दूसरे की राय सुनें और कारण समझें .
- साझा लक्ष्य तय करें – बच्चे का भला दोनों का प्राथमिक लक्ष्य हो .
- जिम्मेदारी बांटें – हर क्षेत्र में एक प्रमुख निर्णयकर्ता तय हो .
- विशेषज्ञ की मदद लें – पेरेंटिंग वर्कशॉप, फैमिली काउंसलिंग .
- निजी समय में विवाद निपटाएं – बच्चों के सामने मतभेद न दिखाएं .

बच्चों के पालन-पोषण पर मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन इन्हें सही तरीके से संभालना ही परिपक्व पेरेंटिंग की पहचान है . संवाद, टीमवर्क और एक समान रुख अपनाकर माता–पिता न सिर्फ विवाद से बच सकते हैं, बल्कि बच्चे के लिए एक संतुलित, सुरक्षित और सकारात्मक माहौल भी बना सकते हैं .
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