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Relation में बाउंड्री: हम साथ हैं, लेकिन अलग भी हैं!

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Relationship tips: सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

रिश्ता चाहे दोस्ती का हो, रोमांटिक पार्टनरशिप का या फिर शादी का. हर रिश्ते में क़रीबियां ज़रूरी हैं. लेकिन उतनी ही ज़रूरी है दूरी भी. यह दूरी फिजिकल नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्पेस की होती है, जिसे हम “बॉउंड्रीज़” कहते हैं.

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क्या होती हैं बॉउंड्रीज़?

साइकोलॉजिस्ट डॉ. रचना महाजन के अनुसार, “बॉउंड्रीज़ वो सीमाएं हैं जो हम अपने आत्मसम्मान, भावनात्मक सुरक्षा और मानसिक शांति को सुरक्षित रखने के लिए बनाते हैं. ये बताती हैं कि हमें क्या ठीक लगता है और क्या नहीं.”

क्यों ज़रूरी हैं बॉउंड्रीज़?

इंडिविजुअल पहचान बचाए रखने के लिए

रिश्ते में रहकर भी किसी का अलग व्यक्तित्व होना जरूरी है. अगर हर निर्णय में दूसरा व्यक्ति दखल देने लगे, तो व्यक्ति की अपनी पहचान खो सकती है.

पर्सनल स्पेस और मानसिक सेहत के लिए

हर किसी को अकेले रहने, सोचने, अपने शौक पूरे करने और खुद से जुड़ने का समय चाहिए होता है. बिना इस स्पेस के, रिश्ता बोझ बन सकता है.

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कंट्रोलिंग बिहेवियर से बचाव

अक्सर रिश्तों में कोई एक व्यक्ति दूसरे को ‘कंट्रोल’ करने लगता है – कहां जाना है, किससे मिलना है, कैसे कपड़े पहनने हैं – ये तय करना प्यार नहीं, पज़ेसिवनेस है.

स्वस्थ कम्युनिकेशन के लिए

जब आप अपनी सीमाएं स्पष्ट रूप से बता पाते हैं, तो सामने वाला आपको बेहतर समझता है. इससे गलतफहमियां कम होती हैं.

बॉउंड्रीज़ न होने के खतरे

  • लगातार थकान और मानसिक तनाव
  • आत्म-संदेह और आत्मसम्मान में कमी
  • घुटन और अकेलेपन की भावना
  • रिश्ते में बार-बार झगड़े और शिकायतें

कैसे बनाएं हेल्दी बॉउंड्रीज़?

रिलेशनशिप काउंसलर श्रुति बंसल कहती हैं, “बॉउंड्रीज़ सेट करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन ये रिश्ते को तोड़ता नहीं, बल्कि मजबूत करता है.”

कुछ तरीके:

  • स्पष्ट रूप से अपनी जरूरतें और असहजता व्यक्त करें
    जैसे: “मुझे हर दिन कुछ समय अकेले बिताना अच्छा लगता है, इससे मैं रिलैक्स महसूस करता/करती हूं.”
  • ‘ना’ कहना सीखें
  • अगर कोई बात आपको ठीक नहीं लगती, तो मना करना आपकी ज़िम्मेदारी है – ये ‘प्यार की कमी’ नहीं होती.
  • एक-दूसरे की पसंद, दोस्तों, करियर और प्राइवेसी की इज्जत करें
    हर समय साथ रहना जरूरी नहीं, भरोसा और आज़ादी ही रिश्ते की असली कसौटी है.

ध्यान रखें:

  • रिश्ते में बॉउंड्रीज़ दीवार नहीं होतीं, दरवाज़े होती हैं – जो सम्मान, भरोसे और समझदारी से खुलते हैं.
    स्वस्थ रिश्तों में दोनों लोग अपनी और एक-दूसरे की सीमाओं को समझते और स्वीकार करते हैं.
  • किसी के बहुत पास जाने की कोशिश में अगर हम उन्हें खुद से दूर कर दें, तो रिश्ते में खोखलापन आ जाता है.
    इसलिए रिश्ते में बैलेंस ज़रूरी है – इतना पास कि प्यार महसूस हो, और इतना दूर कि खुद को न खोएं.

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