किशोरावस्था और युवावस्था में बच्चों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है पीयर प्रेशर(Peer Pressure) यानी दोस्तों और हमउम्र बच्चों का दबाव. कभी यह दबाव पढ़ाई और करियर को लेकर होता है, तो कभी दिखावे, फैशन, मोबाइल या सोशल मीडिया ट्रेंड्स से जुड़ा. अगर बच्चे सही दिशा में इसे हैंडल नहीं कर पाते, तो यह तनाव, गलत आदतों और आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस दौर में माता–पिता की समझ और संवाद ही सबसे बड़ा सहारा है.
मनोवैज्ञानिक की राय
वरिष्ठ क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा चौधरी कहती हैं –
“बच्चों में बेलॉन्गिंग की इच्छा यानी ग्रुप का हिस्सा बनने की चाहत बहुत प्रबल होती है. ऐसे में वे अपने दोस्तों के कहने पर कई बार गलत फैसले भी ले सकते हैं. माता-पिता को बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि हर ट्रेंड या सुझाव सही नहीं होता. सबसे जरूरी है बच्चे का सेल्फ-कॉन्फिडेंस मजबूत करना.”
रिलेशनशिप काउंसलर की सलाह
वरिष्ठ रिलेशनशिप काउंसलर अजय मेहता के अनुसार –
“पीयर प्रेशर का असर सिर्फ बच्चों पर ही नहीं पड़ता, बल्कि पूरे परिवार के रिश्तों पर पड़ सकता है. अगर माता-पिता लगातार तुलना करते हैं – ‘देखो तुम्हारे दोस्त ने ये कर लिया, तुम क्यों नहीं?’ – तो बच्चा और दबाव में आ जाता है. माता-पिता को बच्चों से खुलकर बातचीत करनी चाहिए, उनके दोस्तों को जानना चाहिए और यह भरोसा दिलाना चाहिए कि अगर वे गलती भी करें तो घर उनका सुरक्षित स्पेस है.”
समाजशास्त्री का दृष्टिकोण
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वरिष्ठ समाजशास्त्री प्रो. आर.के. शर्मा कहते हैं –
“आज के समय में सोशल मीडिया ने पीयर प्रेशर को और बढ़ा दिया है. लाइक्स, फॉलोअर्स और फैशन ट्रेंड्स बच्चों के लिए ‘स्टेटस सिंबल’ बन गए हैं. इसका समाधान यह है कि परिवार में वैल्यू-बेस्ड बातचीत हो, बच्चे को यह समझाया जाए कि असली पहचान उसकी प्रतिभा और मेहनत से बनती है, न कि केवल दिखावे से.”
समाधान और उपाय
- बच्चों को ना कहना सिखाएं – हर सुझाव मान लेना जरूरी नहीं.
- परिवार में ओपन कम्युनिकेशन रखें ताकि बच्चा अपनी बात कह सके.
- तुलना से बचें – हर बच्चा अलग है, उसकी क्षमताओं का सम्मान करें.
- बच्चे को सकारात्मक ग्रुप्स और गतिविधियों से जोड़ें – जैसे खेल, म्यूजिक, डिबेट.
- डिजिटल स्पेस पर संतुलन बनाना सिखाएं.
पीयर प्रेशर बच्चों के लिए विकास का हिस्सा है, लेकिन अगर माता-पिता और परिवार सही समय पर मार्गदर्शन करें तो यह दबाव बच्चे की ताकत में बदल सकता है. आत्मविश्वास, संवाद और सहारा – यही इसके तीन सबसे बड़े समाधान हैं.