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Gay, Bisexual हैं या Lesbian: Sex education क्यों जरूरी है?

सेक्स एजुकेशन एक ऐसा गंभीर विषय है जिसके बारे में आज भी लोग बात नहीं करना चाहते है, उन्हें इस विषय के बारे में बात करने में अजीब लगता है. लेकिन क्या ये सही है?

आज के आधुनिक युग में टीनेजर्स के जीवन में कई बदलाव और मुश्किलें आती है. टीनेज एक ऐसी उम्र है जिसमे बच्चों का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से बदलाव होता है, तो ऐसे में sex education के बारे में उन्हें पूरी जानकारी देना बेहद महत्वपूर्ण है. यह केवल शारीरिक संबंधों के विषय में जानकारी देना नहीं है बल्कि ये जीवन के मूल्यों, आत्म सम्मान और जीवनशैली को भी आकार देना है.

Sex education क्या है?

सेक्स एजुकेशन एक ऐसा विषय है जिसमे टीनेजर्स में होने वाले शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों की जानकारी दी जाती है. इसमें sexual health, pregnancy, reproductive system, menstruation, और sex संबंधी बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी जाती है.

क्यों जरूरी है यह शिक्षा?

साइकोलॉजिस्ट डॉ प्रीति उपाध्याय का कहना है कि जब बच्चों में puberty की शुरुवात होती है तो उनमें बहुत से हार्मोनल बदलाव आते हैं, तो सेक्स एजुकेशन उन्हें यह समझाने में मदद करता है कि यह एक सामान्य परिवर्तन है इससे उन्हें घबराने और शर्माने की जरूरत नहीं है और इस विषय पर खुलके बात करनी चाहिए, उन्हें ये बताना चाहिए की हमारे बॉडी पार्ट्स क्या हैं और क्या यूज हैं उनका .

आजकल बच्चों में identity orientation problem बहुत ज़्यादा आ रही है, बच्चों को पता ही नहीं होता है कि वो अपने शरीर से और अपने आप से चाहते क्या हैं या दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे.

उनके पास बहुत से ऐसे बच्चे आते है जिन्हें ये तक नहीं पता होता है की वो gay हैं bisexual हैं या lesbian हैं. ये ऐसा विषय है जिसके बारे में ना तो घरवाले बात करते हैं ना ही स्कूल में इसकी बात होती है, लोग इस विषय को आज भी taboo ही मानते हैं.

बहुत से बच्चे ऐसी चीज़ों की वजह से डिप्रेशन में भी चले जाते हैं क्यूंकि वह खुलकर इस विषय में किसी से भी जानकारी नहीं ले पाते हैं जिसके कारण वह अंदर ही अंदर परेशान रहते है, उन्हें लगता है कि ये जो मेरे साथ हो रहा है वो बहुत अजीब है और अगर घरवालों को इसके बारे बताया तो वो हमें बहुत डाटेंगे.

बहुत से बच्चे जानकारी ना होने पर इंटरनेट पर adult content तक देखने लग जाते हैं और अभिभावक उनपर इतना ध्यान नहीं दे पाते हैं जिसकी वजह से ग़लत परिणाम देखने को मिलते हैं. यह परिणाम इतने बुरे रूप से विकसित होते हैं कि क्राइम तक पहुंच जाते हैं बच्चे. आए दिन “रेप” जैसे क्राइम की खबर सुन ने को मिलती है चाहे वो लड़का हो या लड़की.

इसके कुछ समाधान:

साइकोलॉजिस्ट डॉ प्रीति उपाध्याय का कहना है कि सबसे पहला और महत्वपूर्ण समाधान यही है कि घरवालों को और बच्चों को स्कूल में इस विषय के बारे में खुलके बात करनी चाहिए, उन्हें समझाना चाहिए कि जो उनके साथ हो रहा है या जो उनमें बदलाव हो रहे हैं वो ग़लत नहीं हैं, क्यूंकि इंटरनेट, सोशल मीडिया और दोस्तों से मिली अधूरी जानकारी से वे भ्रमित हो जाते हैं, तो उन्हें इस विषय में सही शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है.

बहुत से बच्चे इस वजह से भी खुलके नहीं बता पाते क्यूंकि उन्हें लगता है की वह अपने सेम जेंडर से ही वो बात असानी से बता पायेंगे, तो माता पिता या उसके बड़े भाई बहन का फ़र्ज़ बनता है कि वो लोग बच्चे को वो सभी जानकारी दें बिना उसे डाटें या मारे.

इस विषय की सही शिक्षा बच्चों को Contraceptive pills, Sexually transmitted Disorder से होने वाले HIV/AIDS से बचाव और साफ़ सफ़ाई के पहलुओं के बारे में जानकारी देती है.

सेक्स एजुकेशन एक Taboo नहीं है बल्कि यह जीवन के महत्वपूर्ण पक्ष की समझ देने वाला शिक्षण है जिसकी सही जानकारी होता अत्यंत आवश्यक है. बच्चों को सही उम्र में सही जानकारी देना ना केवल उनके शारीरिक स्वास्थ को सही रखता है बल्कि उनको मानसिक और सामाजिक रूप से भी मज़बूत बनाता है. भारत में इस विषय पर बात करने में लोगो को संकोच होता है जबकि उन्हें इस विषय पर खुलके बात करनी चाहिए और सोच अपनानी चाहिए ताकि उनके बच्चे सुरक्षित, जागरूक, और जिम्मेदार नागरिक बन पायें.

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