बच्चे का जन्म किसी भी माता-पिता के जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है, लेकिन इसके साथ ही यह कई भावनात्मक और मानसिक उतार-चढ़ावों की शुरुआत भी है. विशेषज्ञों का कहना है कि हर मां-बाप बच्चे के जन्म के बाद कम से कम तीन प्रमुख भावनात्मक चरणों (Emotional Stages) से होकर गुजरते हैं. ये पड़ाव न केवल उनकी सोच को बदलते हैं बल्कि उनके रिश्ते और जीवन की दिशा भी तय करते हैं.
3 Emotional Stages कौन से हैं
पहला पड़ाव — खुशी और जिम्मेदारी का संगम
बच्चे के जन्म के शुरुआती दिनों में माता-पिता अपार खुशी महसूस करते हैं, हर छोटी मुस्कान, हर आवाज़ उनके लिए दुनिया की सबसे प्यारी चीज़ बन जाती है. लेकिन इसी खुशी के साथ आती है नई जिम्मेदारियों की भारी लिस्ट — नींद की कमी, बच्चे की देखभाल, और समय का संतुलन बनाना. यह पड़ाव भावनाओं और थकान का मिश्रण होता है.

दूसरा पड़ाव — थकावट और आत्म-संदेह
कुछ हफ्तों या महीनों बाद माता-पिता को महसूस होता है कि यह यात्रा उतनी आसान नहीं है जितनी उन्होंने सोची थी. लगातार थकान, नींद की कमी और खुद के लिए समय न मिलना उन्हें आत्म-संदेह (self-doubt) में डाल सकता है. मां को “पोस्टपार्टम ब्लूज” का सामना करना पड़ता है, जबकि पिता भी भावनात्मक रूप से थके हुए महसूस कर सकते हैं. यह वह समय होता है जब परिवार और साथी का सपोर्ट सिस्टम सबसे ज्यादा जरूरी होता है.

तीसरा पड़ाव — अपनापन और संतुलन की वापसी
समय बीतने के साथ माता-पिता धीरे-धीरे इस नई ज़िंदगी के आदी हो जाते हैं, बच्चे की हर हरकत अब तनाव नहीं, बल्कि खुशी का कारण बनने लगती है. वे एक-दूसरे को समझने लगते हैं, जिम्मेदारियों में तालमेल बैठा लेते हैं और परिवार का एक नया संतुलन बनता है. यह पड़ाव माता-पिता को और भी मजबूत, परिपक्व और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ बनाता है.

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