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ईगो, स्वाभिमान, घमंड: Expert से समझें कैसे बचाएं रिश्ते

नई दिल्ली . रिश्तों और जीवन में अकसर लोग ईगो, स्वाभिमान और घमंड को एक जैसा मान लेते हैं, जबकि तीनों के मायने अलग हैं . यही फर्क न समझ पाने की वजह से कई बार व्यक्तिगत रिश्तों में तनाव और पेशेवर जीवन में टकराव पैदा हो जाता है . विशेषज्ञों ने बताया कि इन्हें पहचानना और संतुलित रखना बेहद ज़रूरी है . हाथ ठंड में और दिमाग घमंड में काम नहीं करता, जानें अभिमान से क्या होता है नुकसान.

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  ईगो (अहम)  

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफेसर गोविंद मिश्रा कहते हैं, “ईगो यानी अहम अपने ‘मैं’ को ज़्यादा महत्व देना है . इसमें व्यक्ति अपनी राय और सोच को सबसे ऊपर मान लेता है . यह स्थिति रिश्तों में संवाद को तोड़ देती है .”

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स्वाभिमान (Self respect)

लखनऊ विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ संगीता वर्मा बताती हैं, “स्वाभिमान सकारात्मक गुण है . यह आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का प्रतीक है . जब इंसान खुद का सम्मान करता है तो दूसरों को भी इज़्ज़त देता है . यह रिश्तों को मज़बूती देता है .”

  घमंड (Arrogance)  

रिलेशनशिप काउंसलर रचना कपूर का कहना है, “घमंड स्वाभिमान का नकारात्मक रूप है . इसमें व्यक्ति खुद को दूसरों से बड़ा मानने लगता है . लगातार दूसरों को नीचा दिखाना या उनकी राय को महत्व न देना घमंड की पहचान है . यही वजह है कि घमंडी व्यक्ति लंबे समय तक स्वस्थ रिश्ते नहीं निभा पाता .”

  कैसे पहचानें फर्क?  

ईगो   – जब आप हर चर्चा में “मैं ही सही हूं” सोचें .
स्वाभिमान   – जब आप अपनी बात रखते हैं लेकिन दूसरों की भी इज़्ज़त करते हैं .
घमंड   – जब आप सामने वाले को छोटा या कमतर समझते हैं .

विशेषज्ञ मानते हैं कि स्वाभिमान हर रिश्ते के लिए ज़रूरी है, जबकि ईगो और घमंड रिश्तों को तोड़ सकते हैं . संतुलित सोच और संवाद की खुली राह ही इन्हें पहचानने और संभालने का सबसे अच्छा तरीका है .