कोडपेंडेंसी(Codependency) और नेगलेक्ट क्या होता है? इसके लक्षण क्या हैं? और इससे कैसे निपटा जाए?
Relationship Tips: हर रिश्ता प्यार, भरोसे और सम्मान पर टिकता है. लेकिन कभी-कभी हम अनजाने में ऐसे भावनात्मक जाल में फंस जाते हैं जो या तो कोडपेंडेंसी (Codependency) कहलाता है या इमोशनल नेगलेक्ट (Emotional Neglect) . वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अर्चना मिश्रा कहती हैं, “ये दोनों ही स्थितियाँ मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं और रिश्ते को धीरे-धीरे खोखला कर सकती हैं. ”
Extra Marital Affairs कैसे पहचानें शुरुआती संकेत?
Live-in relationship में क्या रखें सावधानियां?
कोडपेंडेंसी (Codependency) क्या है?
यह एक ऐसी स्थिति होती है, जब एक व्यक्ति अपने पार्टनर की ज़रूरतों को इस हद तक प्राथमिकता देता है कि अपनी पहचान और इच्छाएं खो बैठता है.
कोडपेंडेंसी (Codependency) के सामान्य लक्षण:
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अर्चना मिश्रा के अनुसार:
- हमेशा “हां” कहना , चाहे अंदर से “ना” कहना चाहें.
- पार्टनर की भावनाओं के हिसाब से खुद का मूड तय करना.
- अपने विचार या जरूरतों को दबा देना , ताकि दूसरा व्यक्ति न नाराज़ हो.
- अकेले रहने का डर या रिश्ते खत्म हो जाने का भयानक डर.
- यह महसूस करना कि आपकी खुशी पार्टनर की खुशी से ही जुड़ी है.
असर:
- आत्म-सम्मान में गिरावट
- anxiety, depression
- Burnout और chronic stress
इमोशनल नेगलेक्ट (Emotional Neglect) क्या है?
यह तब होता है जब एक इंसान का पार्टनर उसकी भावनात्मक ज़रूरतों की अनदेखी करता है—चाहे वो जानबूझकर हो या अनजाने में.
नेगलेक्ट के लक्षण:
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अर्चना मिश्रा के मुताबिक:
- पार्टनर आपके इमोशन्स को बार-बार नजरअंदाज करता है.
- आप बात करना चाहें, तो वह टाल देता है या रुखा हो जाता है.
- भावनात्मक सपोर्ट न मिलना , जब आप दुखी या परेशान हों.
- हर समय खुद को अकेला महसूस करना , भले ही रिश्ता बना हो.
- आपकी भावनाओं को ‘overreaction’ कह देना. असर: Low confidence
Emotional detachment
आत्मग्लानि और असुरक्षा कैसे समझें कि आप किस स्थिति में हैं?
| संकेत | कोडपेंडेंसी | इमोशनल नेगलेक्ट |
| – | — | – |
| आत्मत्याग | ज़्यादा होता है | बहुत कम होता है |
| भावनात्मक जुड़ाव | अधिक, अक्सर unhealthy | कम, disconnect होता है |
| आप कितना सुने जाते हैं | लगातार दूसरों को सुनते हैं | कोई आपको सुनता ही नहीं |
क्या करें इन स्थितियों में?
- अपनी पहचान को वापस पाना सीखें.
- भावनाओं को दबाना बंद करें.
- ‘ना’ कहना सीखें.
- पार्टनर से खुलकर संवाद करें.
- थेरेपी लें – खासकर individual या couples counselling.
डॉ. अर्चना का कहना है, “कोई भी रिश्ता परिपूर्ण नहीं होता, लेकिन अगर आप लगातार खुद को खो रहे हैं या उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, तो यह वक्त है रुककर सोचने का. ”
स्वस्थ रिश्ते की निशानियाँ:
- पारदर्शी संवाद
- दोनों की सीमाओं का सम्मान
- इमोशनल सपोर्ट
- स्वतंत्रता के साथ जुड़ाव
- Relationship Tips : अपने पार्टनर से क्या चाहते हैं पुरुष?
Digital Literacy कैसे बढ़ाएं: टीनएजर्स के लिए गाइड
Teenagers के लिए ‘Self-Defense’ क्यों ज़रूरी है?
Relationship tips: ऐसे रिश्तेदार आपके बच्चे को करते हैं बीमार, Body dysmorphia disorder क्या है? symptoms and treatment?
Relationship Tips: पति-पत्नी कैसे बनाएं रिश्ते को मजबूत?
रिश्ते में रहकर अगर आप खुद को खोने लगें या हमेशा उपेक्षित महसूस करें, तो यह सामान्य नहीं है. कोडपेंडेंसी और इमोशनल नेगलेक्ट पहचानने और सुधारने योग्य हैं, बशर्ते आप सही कदम उठाएं और ज़रूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मदद लेने से न झिझकें.
Leave a Reply