बच्चों की परवरिश: हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे खुश रहें और दुनिया की कोई भी परेशानी उन्हें छू भी न सके. बच्चों को खुशी से भरपूर माहौल में बड़ा करने का तरीका बता रही हैं न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अदातिया. उन्होंने बताया है कि कैसे आप खुशमिजाज बच्चों की परवरिश कर सकते हैं ताकि उनका बचपन आनंदमय हो और वे खुशी से जीवन जी सकें. डॉक्टर का मानना है कि “न्यूरो पैरेंटिंग” के ज़रिए आप बच्चों को खुश रख सकते हैं. आइए, सीधे डॉक्टर से ही इस बारे में जानते हैं.
खुश बच्चों की परवरिश कैसे करें?
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अदातिया का कहना है कि जब बच्चे जन्म से लेकर 5 साल तक के हों, तो उन्हें खूब प्यार से पालना चाहिए. फिर जब बच्चे 5 से 13 साल के हो जाएं, तो उन्हें अनुशासन सिखाना चाहिए. और जब बच्चे 13 साल के हो जाएं, तो उनसे दोस्ती करनी चाहिए. इसे प्यार, अनुशासन और दोस्ती का मिश्रण कहा जाता है. डॉक्टर बताती हैं कि इस तरीके के पीछे विज्ञान छुपा हुआ है, जो बच्चों के दिमाग पर असर करता है.
0 से 5 साल के बच्चों की परवरिश:
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अदातिया का कहना है कि जिन माता-पिता के बच्चे 0 से 5 साल के हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की देखभाल के लिए आया रखने की बजाय खुद ही उनकी परवरिश करें. घर में शांति बनाए रखना भी ज़रूरी है. बच्चे का अवचेतन मन इसी समय विकसित होता है. 5 साल तक का बच्चा सब कुछ सुनता, जानता और समझता है. इसलिए उसे अपने आसपास की हर बात का एहसास होता है.
5 से 13 साल के बच्चों की परवरिश:
यह वह उम्र है जब आप बच्चे के व्यक्तित्व को आकार देते हैं. इस दौरान बच्चों को अच्छी यादें देना और अच्छी आदतें सिखाना बहुत ज़रूरी है. इस उम्र में बच्चे का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं होता है. बच्चों के साथ खेलना, समय बिताना, उनकी बातें सुनना, और रात में शांतिपूर्वक पढ़ाई और दोस्तों के बारे में बात करना बहुत ज़रूरी है.
13 से 18 साल के बच्चों की परवरिश:
इस उम्र में अधिकतर बच्चों का ध्यान पढ़ाई से ज़्यादा मोबाइल पर होता है. गलत संगत में पड़ने का भी खतरा रहता है. ऐसे में आपको बच्चों का दोस्त बनना होगा. बच्चों के साथ कोमल और समझदार व्यवहार करना होगा. इस उम्र में आपको बच्चों के भविष्य और करियर के बारे में भी उनकी मदद करनी होगी.
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