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Gen Z fashion trends: सस्ते कपड़ों में अमीर कैसे दिखें?

आज के समय में फैशनेबल होने का मतलब क्या है? क्या फैशन का मतलब आराम है या स्टाइल? क्या फैशन सिर्फ अमीरों के लिए है या आम लोगों के लिए भी? ये सवाल अक्सर समाज में उठते हैं, लेकिन कभी भी एक छात्र की नजर से इस पर बात नहीं होती.

छात्र जो लगातार सीखते हैं और नए-नए आइडिया लाते हैं, वो अपनी लाइफ में फैशन के ट्रेंड्स को तय करने में एक बड़ा रोल निभाते हैं. तो चलिए समझते हैं कैसे समय के साथ छात्रों के फैशन में भी बदलाव आए है.

टिकाऊ फैशन और समझदारी भरी खरीदारी

अब लोग सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सोच-समझकर कपड़े खरीदने लगे हैं. थ्रिफ्टिंग (पुराने कपड़ों की खरीद) और री-यूज़िंग का चलन बढ़ा है. पुराने सिंपल कपड़े भी अब फैशन में आ गए हैं. लोगों को अब मिनिमलिज़्म यानी कम लेकिन अच्छा पहनना पसंद आने लगा है.

आराम बना स्टाइल

आज की जेनरेशन Z के लिए आराम सबसे ज़रूरी हो गया है. लोग अब ऐसे कपड़े पहनना पसंद करते हैं जो आरामदायक भी हों और स्टाइलिश भी. ओवरसाइज़्ड टी-शर्ट, हुडी, स्नीकर्स और बैगी क्लोथ्स अब ट्रेंड में हैं. ये न सिर्फ आरामदायक होते हैं, बल्कि टिकाऊ और सस्ते भी होते हैं, खासकर जब थ्रिफ्टिंग से लिए जाएं. आराम के चलते कई बार लोग ट्रेडीशनल कपड़ों को भी मिलाकर पहनते हैं, जिससे नया लुक बन जाता है.

फैशन और फ्यूजन

आज का फैशन पारंपरिक और मॉडर्न का मिक्स है, जिसे “फ्यूजन” कहा जाता है. जैसे जींस के साथ कुर्ता पहनना या साड़ी के साथ स्नीकर्स. इसी से DIY (Do It Yourself) फैशन भी लोकप्रिय हुआ, जहां लोग अपने पुराने कपड़ों से कुछ नया बनाते हैं.

इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने से पहले

भारत हमेशा से अपनी संस्कृति और परंपराओं को मानने वाला देश रहा है. पुराने समय में लोगों के कपड़े उनके काम और समाज में उनके दर्जे के हिसाब से होते थे. जैसे किसी राजा के कपड़े एक मजदूर से अलग होते थे. लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे आर्यन, मुग़ल और पुर्तगालियों का भारत में आना हुआ, वैसे-वैसे कपड़ों में बदलाव आने लगा.

सबसे बड़ा बदलाव ब्रिटिश राज के समय हुआ. उस समय, वेस्टर्न कपड़े पहनना अमीरों और अंग्रेजों के जैसा बनने का तरीका माना गया. स्कूलों और कॉलेजों में भी ट्रेडीशनल कपड़े पहनने से मना किया जाने लगा. लेकिन बहुत से छात्रों ने अपना कल्चर अपनाया और अंग्रेजी तौर-तरीकों को मानने से मना कर दिया. आज़ादी के बाद सलवार-कमीज़, धोती-कुर्ता जैसे ट्रेडीशनल कपड़े फिर से चलन में आ गए.

मीडिया का छात्रों पर असर

जब टेक्नोलॉजी आगे बढ़ी और इंटरनेट आया, तो लोगों के पास आपस में जुड़ने का आसान तरीका मिल गया. लोग फैशन के बारे में ज़्यादा अवेयर हुए. फिल्मों का छात्रों पर बड़ा असर पड़ा. जो भी फिल्म में चलता था, वही ट्रेंड बन जाता था. ज़ीनत अमान, माधुरी दीक्षित जैसी एक्ट्रेस फैशन आइकन बन गईं. फिर यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और पिंटरेस्ट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आए, जिनसे युवाओं पर फैशन का गहरा असर पड़ा.

इन्हीं प्लेटफॉर्म्स की मदद से छोटे-छोटे ब्रांड्स और डिजाइनर भी अपने काम को लोगों तक पहुंचा पाए और फैशन का एक नया दौर आया .

ये सारे बदलाव एक बार में नहीं हुए बल्कि धीरे धीरे बदलते दौर बदलते समय के साथ हुए है . फैशन अब सिर्फ स्टाइल नहीं, बल्कि खुद को एक्सप्रेस करने का तरीका बन गया है. हर कोई अलग सोचता है और अलग पहनता है. कोई फैशन को ब्रांड से जोड़ता है, तो कोई क्लास से. लेकिन हर किसी की पसंद अलग होती है और हम किसी को जज नहीं कर सकते. क्योंकि फैशन एक चॉइस है, कोई मजबूरी नहीं. और यही चॉइस आज के छात्रों को अलग-अलग तरीके से खुद को दुनिया के सामने पेश करने का मौका देती है.

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