Online Class ने बच्चों की पढ़ाई को लॉकडाउन में जारी रखने में मदद की. इसके साइड इफेक्ट्स अब दिखने लगे हैं. लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहना, सामाजिक संपर्क की कमी और लगातार परफॉर्म करने का दबाव – इन सबका असर बच्चों की मानसिक सेहत पर पड़ रहा है.
वरिष्ठ बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. नीतिका शर्मा कहती हैं, “ऑनलाइन पढ़ाई ने जहां शिक्षा को घर तक पहुंचाया, वहीं बच्चों में तनाव, चिड़चिड़ापन और एकाकीपन जैसी समस्याएं भी बढ़ा दी हैं.”
क्या कहती हैं रिसर्च और अनुभव?
डॉ. नीतिका के अनुसार, पिछले दो वर्षों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में 40% तक इज़ाफा हुआ है, खासकर 8–16 साल की उम्र के बच्चों में.
ऑनलाइन क्लास के कारण बढ़ने वाले तनाव के प्रमुख कारण:
स्क्रीन टाइम का अत्यधिक बढ़ना
- दिनभर लैपटॉप या मोबाइल पर पढ़ाई
- नज़रें और दिमाग थक जाते हैं
- नींद में कमी, आंखों में जलन, और एकाग्रता में गिरावट
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सोशल इंटरएक्शन की कमी
- दोस्त न मिलना
- ग्रुप एक्टिविटी या खेल का अभाव
- बच्चों का सामाजिक विकास रुकना
अभिभावकों की अपेक्षाएं
- ऑनलाइन पढ़ाई में परफॉर्मेंस की तुलना
- घर में पढ़ाई का माहौल न होना फिर भी अच्छे मार्क्स की उम्मीद
- बच्चा खुद को “असफल” मानने लगता है
तकनीकी समस्याएं और शर्मिंदगी
- इंटरनेट का खराब होना या कैमरा ऑन करने में झिझक
- खुद को बाकी बच्चों से कमतर महसूस करना
- टीचर की बात न समझ पाने पर गिल्ट
तनाव के लक्षण जो पैरेंट्स को जानने चाहिए:
डॉ. नीतिका के अनुसार, इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें:
- चिड़चिड़ापन या गुस्सा
- नींद में गड़बड़ी
- पढ़ाई से अचानक अरुचि
- पेट दर्द, सिर दर्द जैसी बार-बार की शिकायतें
- खुद को कमरे में बंद कर लेना
- बार-बार “मैं बेकार हूं” जैसे वाक्य कहना
क्या करें माता-पिता और स्कूल?
पैरेंट्स के लिए सलाह:
- बच्चों के साथ रोज़ संवाद करें
- हर 30-40 मिनट बाद ब्रेक दिलाएं
- पढ़ाई से इतर चीज़ों पर बात करें (जैसे म्यूजिक, ड्राइंग)
- पढ़ाई के बजाय प्रयास पर ध्यान दें
- जब ज़रूरी हो, तो मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेने में संकोच न करें
स्कूलों की भूमिका:
- एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा दें
- कैमरा ऑन का ज़ोर देना बंद करें
- मेंटल हेल्थ सेशन नियमित रखें
- असाइनमेंट का बोझ कम करें
डॉ. नीतिका का सुझाव:
“हर बच्चा अलग होता है. ऑनलाइन एजुकेशन में भी इंसानियत और इमोशन की जगह होनी चाहिए. अगर बच्चे को सुनेंगे नहीं, तो वह पढ़ना भी बंद कर देगा.”
ऑनलाइन पढ़ाई आने वाले समय में भी शिक्षा का हिस्सा बनी रहेगी, लेकिन इसका मानसिक असर समझना ज़रूरी है. बच्चों को स्क्रीन के सामने अकेला न छोड़ें – उनके मन की सुनें, उनके साथ खड़े रहें.
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