सर्दी के मौसम में या ज्यादा बोलने की वजह से गला बैठ जाना बहुत आम समस्या है, कई बार आवाज इतनी हल्की हो जाती है कि व्यक्ति ठीक से बोल भी नहीं पाता. आयुर्वेद में इसे स्वरभंग कहा जाता है और इसके लिए कई प्रभावी घरेलू उपाय बताए गए हैं, जो तुरंत राहत देते हैं.
गला बैठने के मुख्य कारण
मौसम में बदलाव, घंटों जोर से बोलना या गाना धूल, धुआं और प्रदूषण, गले में वायरल इंफेक्शन ठंडी चीजों का ज्यादा सेवन.
आयुर्वेद के 5 उपाय जो देंगे झटपट आराम
मुलाठी (मुलेठी) का काढ़ा
आयुर्वेद में मुलेठी को गले की सबसे बड़ी दोस्त माना गया है.
कैसे लें: छोटी मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसें या इसका हल्का काढ़ा बनाकर पिएं.
फायदा: गले की सूजन कम करता है और आवाज को नार्मल करने में मदद करता है.
गर्म पानी से गरारे
गर्म पानी में थोड़ा नमक मिलाकर गरारे करना सबसे आसान उपाय है.
फायदा: बलगम ढीला होता है, सूजन कम होती है और गले को आराम मिलता है.
अदरक-शहद का मिश्रण
अदरक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी है और शहद गले को कोट करता है.
कैसे लें: 1 चम्मच अदरक का रस, 1 चम्मच शहद दिन में 2–3 बार.
फायदा: बैठी आवाज खुल जाती है और खांसी भी कम होती है.
तुलसी का काढ़ा
तुलसी में एंटी-वायरल और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं.
कैसे बनाएं: 4–5 तुलसी की पत्तियां पानी में उबालें और हल्का गर्म रहते पिएं.
घी से गरारा या सेवन
आयुर्वेद में घृत को गला साफ करने वाला माना गया है.
कैसे लें: आधा चम्मच शुद्ध घी हल्का गर्म करके पी लें, या घी को हल्का गर्म कर 2–3 सेकंड मुंह में घुमाएं (कुल्ला जैसे)
क्या न करें?
बहुत ठंडा पानी, आइसक्रीम और फ्रिज की चीजें, बहुत ज्यादा बोलना, धूल-धुएं में जाना तला-भुना खाना.
डॉक्टर कब दिखाएं?
अगर 3–4 दिनों में सुधार न हो, बुखार हो या बोलने में बहुत दर्द हो तो ENT डॉक्टर से जांच कराएं.
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