Teenage Mental Problem: आज सोशल मीडिया किशोरों की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया है. हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 13 से 19 वर्ष के करीब 85% किशोर हर दिन औसतन 3 से 4 घंटे सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं. जहां इससे उन्हें नई जानकारी और रचनात्मकता का अवसर मिल रहा है, वहीं यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज़ (NIMHANS) की एक रिपोर्ट बताती है कि “लगभग 70% किशोरों में सोशल मीडिया के कारण तनाव, अकेलापन या आत्मसम्मान की कमी समस्या देखने को मिली है.”
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफिस इंडिया के अनुसार “हर 4 में से 1 किशोर ऑनलाइन ट्रोलिंग या बदसलूकी का शिकार हो चुका है.”
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इससे उनमें भय, शर्म और चुप्पी का माहौल बनता है.
मनोविशेषज्ञ डॉ. दिव्या गुप्ता के अनुसार 60% किशोर शारीरिक खेलों से दूर हो चुके हैं, जिससे मोटापा और थकान जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं.वे कहती हैं कि “बच्चों पर नियंत्रण की बजाय संवाद जरूरी है. उन्हें डिजिटल डिटॉक्स, टाइम लिमिट और रियल वर्ल्ड एक्सपोजर देना चाहिए.
“सरकार भी अब स्कूलों में “डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम” शुरू करने की तैयारी में है, जिससे बच्चों को इंटरनेट का सुरक्षित और संतुलित उपयोग सिखाया जा सके.
सोशल मीडिया किशोरों के लिए वरदान भी है और संकट भी – यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं. समय आ गया है कि अभिभावक, शिक्षक और समाज मिलकर किशोरों को डिजिटल दुनिया में संतुलन और समझदारी के साथ आगे बढ़ना सिखाएं.
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