सर्दियां आते ही घरों में हीटर का इस्तेमाल बढ़ जाता है, ठंड से राहत तो मिल जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रातभर हीटर चलाकर सोना आपके फेफड़ों पर सीधा असर डाल सकता है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लगातार गर्म, बंद और सूखी हवा में सोना शरीर की नॉर्मल ब्रीदिंग को प्रभावित कर देता है.
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हीटर की गर्म हवा कैसे नुकसान पहुंचाती है?
फेफड़ों के विशेषज्ञ डॉ. आर. मेहरा (पल्मोनोलॉजिस्ट) बताते हैं कि हीटर कमरे की नमी को तेजी से कम करता है, इसकी वजह से हवा सूखी और भारी हो जाती है, सांस लेते समय गला और श्वसन नलियां सूखने लगती हैं, फेफड़ों में खिंचाव और जलन बढ़ने लगती है, अस्थमा और एलर्जी वाले मरीजों में दिक्कत दोगुनी हो जाती है. डॉ. मेहरा के मुताबिक, सूखी हवा फेफड़ों की म्यूकस लेयर को नुकसान पहुंचाती है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है और कई लोगों को खांसी, कफ और सांस फूलने जैसी समस्याएं होने लगती हैं.
हीटर से फेफड़ों पर असर?
हवा ज्यादा सूखी हो जाती है- हीटर चलने पर कमरे की नमी (Humidity) तेजी से कम हो जाती है, इससे नाक और गले की झिल्लियां सुखने लगती हैं, जिससे सांस लेते समय जलन और खांसी बढ़ सकती है.
फेफड़ों में जलन और कंजेशन- सूखी हवा फेफड़ों तक पहुंचकर irritation बढ़ा देती है, अस्थमा या एलर्जी वाले लोगों में यह समस्या और ज्यादा ट्रिगर होती है, कई बार सुबह उठते ही चेस्ट हैवीनेस महसूस होती है.
ऑक्सीजन लेवल में कमी- पूरी रात बंद कमरे में हीटर चलने से वेंटिलेशन कम हो जाता है, इससे कमरे में ऑक्सीजन कम और कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा हो सकती है, जो लंग्स के लिए सही नहीं है.
स्किन और गले की ड्राईनेस- फेफड़ों के साथ-साथ गला और स्किन भी ड्राई हो जाती है, जिससे लगातार पानी की कमी और डिहाइड्रेशन जैसा महसूस होता है.
क्या है सही तरीका?
हीटर के साथ कमरे में थोड़ी वेंटिलेशन रखें, एक कटोरा पानी या ह्यूमिडिफायर जरूर चलाएं, हीटर को पूरी रात ऑन न रखें—टाइमर का इस्तेमाल करें, कमरे का तापमान 20–22°C से ज्यादा न जाने दें.
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