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नींद की कमी को न करें नजरअंदाज बढ़ रहा है, Depression का खतरा!

अगर आप भी देर रात तक मोबाइल चलाते हैं, काम में उलझे रहते हैं या नींद पूरी नहीं ले पाते — तो सावधान हो जाइए, लोगों का कहना है कि नींद की कमी (Sleep Deprivation) सिर्फ थकान ही नहीं लाती, बल्कि यह डिप्रेशन और मानसिक अस्थिरता की शुरुआत भी बन सकती है.

नींद की कमी कैसे असर डालती है दिमाग पर?
नींद हमारे मस्तिष्क के लिए रीसेट बटन की तरह काम करती है, जब नींद पूरी नहीं होती, तो दिमाग थक जाता है और भावनात्मक नियंत्रण कमजोर हो जाता है. जो लोग रोजाना 6 घंटे से कम नींद लेते हैं, उनमें डिप्रेशन, चिंता और चिड़चिड़ापन का खतरा 40% तक बढ़ जाता है,अच्छी नींद सिर्फ आराम नहीं देती, बल्कि दिमाग को स्वस्थ रखती है.”

कितनी नींद है जरूरी?
बच्चों (6–12 वर्ष): 9–11 घंटे
किशोरों (13–18 वर्ष): 8–10 घंटे
वयस्कों (18–60 वर्ष): 7–8 घंटे
वरिष्ठ नागरिक (60+ वर्ष): 6–7 घंटे
हर व्यक्ति के शरीर की जरूरत अलग होती है, लेकिन 7 घंटे से कम नींद लगातार लेना शरीर और मन दोनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है.

रात की छोटी गलतियां जो बिगाड़ती हैं नींद
देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल, कैफीन या चाय-कॉफी का अधिक सेवन, अनियमित सोने-जागने का समय, तनाव और चिंताएं जो दिमाग को सक्रिय रखती हैं.

बेहतर नींद के लिए अपनाएं ये आदतें
सोने से पहले कम से कम 30 मिनट तक स्क्रीन से दूरी रखें, हर दिन एक ही समय पर सोएं और जागें, रात में हल्का और संतुलित भोजन करें, दिन में थोड़ी देर धूप लें — इससे नींद हार्मोन मेलाटोनिन संतुलित रहता है.

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