NoseCare: अक्सर लोग रात को सोते समय बंद नाक या नाक में सूखेपन की समस्या से परेशान रहते हैं. इससे नींद बार-बार टूटती है, जिससे फिर उन्हें अगले दिन सुस्ती, थकान या कमजोरी का सामना करना पड़ता है, साथ ही सिर दर्द की परेशानी भी बढ़ जाती है. इससे राहत पाने के लिए आयुर्वेद में एक बेहद असरदार तरीका बताया गया है. नाक में तेल डालना, जिसे आयुर्वेद में नस्य कहा जाता है, लेकिन क्या यह सच में फायदेमंद है? क्या हर किसी को इसे करना चाहिए?
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क्या है नस्य?
आयुर्वेद में नस्य का मतलब है- नाक में औषधीय तेल की कुछ बूंदें डालना, जिससे सिर, नाक और मस्तिष्क से जुड़े रोगों में राहत मिलती है. आमतौर पर तिल का तेल, घी, या अनु तेल उपयोग किया जाता है.
नाक में तेल डालने के फायदे
नाक बंद होना कम करता है- एलर्जी, सर्दी और सूखापन में यह तुरंत आराम दे सकता है, तेल नाक की लाइनिंग को चिकना बनाकर जमाव घटाता है.
साइनस में राहत- बहुत से आयुर्वेद विशेषज्ञ मानते हैं कि नस्य करने से साइनस का दबाव कम होता है.
सिरदर्द और माइग्रेन में फायदा- नियमित नस्य सिर की नसों को शांत करके दर्द कम कर सकता है.
चेहरे की स्किन और आंखों के लिए भी उपयोगी- आयुर्वेद के अनुसार नस्य से चेहरे पर चमक आती है और आँखों की जलन भी कम होती है.
मानसिक तनाव में आराम- तेल की सुगंध और नाक के अंदर हल्का मसाज—दोनों मिलकर तनाव कम कर सकते हैं.
हर किसी को नाक में तेल नहीं डालना चाहिए
ये लोग नस्य नहीं करें या डॉक्टर से पूछकर करें, जिन्हें अस्थमा, एलर्जी की गंभीर समस्या है, जिन्हें नाक से खून आने की शिकायत रहती है, जिन्हें सर्दी बहुत तेज हो, छोटे बच्चों में बिना डॉक्टर की सलाह के ना डाले.
नाक में तेल डालने का सही तरीका
हल्के गर्म तेल की 2–2 बूंदें दोनों नथुनों में डालें, सिर थोड़ा पीछे की ओर झुकाएं, 1–2 मिनट धीमी सांस लें, तेज सर्दी हो तो न करें.
क्या रोज कर सकते हैं?
अगर आपका शरीर इसे सूट करता है तो, सुबह 1 बार ही काफी है, लेकिन कोई भी नई आदत शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहतर है.
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