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PCOD या PCOS: लड़कियों मुंहासे, वजन बढ़ना, और मूड स्विंग्स… ये सब सामान्य बात है?

PCOD या PCOS: लड़कियों मुंहासे, वजन बढ़ना

“हर महीने की अनियमितता, चेहरे पर अचानक मुंहासे, वजन बढ़ना, और मूड स्विंग्स… ये सब क्या कोई सामान्य बात है?” अगर आप 18 से 22 साल की हैं और ये लक्षण महसूस कर रही हैं, तो इसे हल्के में न लें. यह PCOD या PCOS का संकेत हो सकता है — एक ऐसी बीमारी जो आज की युवा पीढ़ी में चुपचाप घर कर रही है.

PCOD / PCOS क्या है?

PCOD (Polycystic Ovarian Disease) और PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) महिलाओं की एक हार्मोनल बीमारी है जिसमें अंडाशय (ovaries) में छोटी-छोटी सिस्ट बन जाती हैं और हार्मोन (विशेष रूप से एंड्रोजन) का संतुलन बिगड़ जाता है.
पीसीओडी में अंडाशय ठीक से अंडाणु नहीं छोड़ पाता. पीसीओएस में यह एक मेटाबॉलिक सिंड्रोम बन जाता है, जिसमें पीरियड्स, वजन, त्वचा और प्रजनन पर असर होता है.

क्यों हो रही है यह इतनी आम?

  1. लाइफस्टाइल में बदलाव:

आज की युवा लड़कियों की दिनचर्या में फिजिकल ऐक्टिविटी की कमी, जंक फूड, और अनियमित नींद शामिल हैं.

  1. तनाव और पढ़ाई का दबाव:

कॉलेज, करियर और रिश्तों का मानसिक तनाव हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ देता है.

  1. हार्मोनल असंतुलन:

जेनिटिक कारणों और पर्यावरणीय बदलावों से भी यह समस्या बढ़ रही है.

  1. जल्दी उम्र में शुरू हो रहा पीरियड:

कम उम्र में शुरू हो रहे मासिक चक्र हार्मोनल असंतुलन को बढ़ावा दे सकते हैं.

मुख्य लक्षण क्या हैं?

पीरियड्स का अनियमित होना या बंद हो जाना

चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल

बार-बार मुंहासे होना

वजन तेजी से बढ़ना, खासकर पेट के आसपास

बाल झड़ना या गंजापन

मूड स्विंग्स और थकान

प्रजनन संबंधी समस्याएं (बांझपन)

इसका असर क्या हो सकता है?

इनफर्टिलिटी (बांझपन): पीसीओएस लंबे समय तक इलाज न होने पर गर्भधारण में परेशानी पैदा कर सकता है.
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर: शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है.
डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी: शारीरिक बदलाव मानसिक सेहत पर भी असर डालते हैं.
हार्ट डिज़ीज़ और मोटापा: मेटाबोलिज्म के गड़बड़ होने से दीर्घकालिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

इलाज और समाधान क्या हैं?

  1. जीवनशैली में बदलाव ही सबसे बड़ा इलाज है: नियमित व्यायाम: रोज 30 मिनट brisk walk या योग लाभकारी है.

संतुलित आहार: प्रोसेस्ड फूड कम करें, हाई प्रोटीन और फाइबर वाला आहार लें.

नींद पूरी करें: हार्मोनल संतुलन के लिए 7–8 घंटे की नींद जरूरी है.

  1. डॉक्टर की सलाह और दवा:

डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई दवाएं जैसे कि हार्मोन बैलेंसिंग टैबलेट्स.

कुछ मामलों में बर्थ कंट्रोल पिल्स भी दी जाती हैं ताकि पीरियड्स नियमित रहें.

  1. स्ट्रेस मैनेजमेंट:
    मेडिटेशन, म्यूजिक थेरेपी, काउंसलिंग जैसे उपाय मानसिक तनाव को कम कर सकते हैं.

क्या यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है?

हां, PCOD/PCOS को समय रहते पहचान लिया जाए और नियमित जीवनशैली अपनाई जाए तो इसे पूरी तरह मैनेज और कंट्रोल किया जा सकता है. कई महिलाएं इससे उबर चुकी हैं और स्वस्थ जीवन जी रही हैं. ज़रूरत है बस जागरूकता और नियमित देखभाल की.

PCOD और PCOS आज की युवतियों की एक अनदेखी लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है. अक्सर इसे “सिर्फ पीरियड्स की गड़बड़ी” मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन यह बीमारी शरीर, मन और भविष्य तीनों पर गहरा असर डालती है.

अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो यह बीमारी डरावनी नहीं, बल्कि संभाली जा सकने वाली स्थिति है.

“खुद को नजरअंदाज मत करो. अपने शरीर की आवाज़ सुनो, और समय रहते कदम उठाओ.”

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