आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में देर रात तक मोबाइल चलाना, लैपटॉप पर काम करना या वेब सीरीज़ देखना आम बात हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत धीरे-धीरे आपके दिमाग और याददाश्त पर बुरा असर डाल सकती है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक, देर से सोने और नींद पूरी न होने का सीधा असर फोकस, मेमोरी और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है.
देर से सोने से दिमाग पर क्या असर होता है?
देर से सोना सिर्फ शरीर को थका नहीं देता, बल्कि दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालता है. चलिए जानते हैं कि क्या-क्या असर होता है.
1. मेमोरी कमजोर होना: नींद के दौरान दिमाग दिनभर की जानकारी को स्टोर करता है, देर से सोने और नींद पूरी न होने से यह प्रोसेस बाधित होता है, जिससे याददाश्त कमजोर हो सकती है.
2. फोकस में कमी: नींद की कमी दिमाग को थका देती है, जिसके कारण ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है.
3. स्ट्रेस और एंग्जायटी: लेट नाइट सोने की आदत हॉर्मोनल बैलेंस बिगाड़ देती है, जिससे तनाव और चिंता बढ़ जाती है.
4. निर्णय लेने की क्षमता कम होना: दिमाग थका होने पर सही फैसले लेना और तुरंत प्रतिक्रिया देना मुश्किल हो जाता है.
किन लोगों पर असर ज्यादा होता है?
स्टूडेंट्स, जिन्हें पढ़ाई और एग्जाम की तैयारी करनी होती है. ऑफिस वर्कर्स, जो देर रात तक काम करते हैं. टीनेजर्स और युवा, जो देर रात मोबाइल और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं.
कैसे बचें इस नुकसान से?
हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें, सोने से कम से कम 1 घंटे पहले मोबाइल और स्क्रीन टाइम बंद करें, सोने से पहले गुनगुना दूध या हर्बल चाय लें, यह नींद लाने में मदद करता है, दिन में छोटी-छोटी झपकी लेने की बजाय रात की नींद पूरी करें.