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उम्र 30 से 40 वाले हार्ट अटैक से सावधान: लक्षण, डॉक्टर से जानें समाधान

आज की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोगों के जीवन में बहुत से बदलाव हुए हैं जैसे तनाव, फ़ास्टफ़ूड , धूम्रपान , और शारीरिक गतिविधि की कमी ने हृदय की बीमारी होने का ख़तरा कई गुना बढ़ा दिया है. पहले हृदय की बीमारियों को उम्रदार लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब 30-40 साल के लोगों को भी यह बीमारियां होने लगी है.

हृदय रोग मतलब हमारे दिल से जुड़ी वो सभी बीमारियां जो दिल की मांसपेशियों को, दिल की नलियों को, या दिल की धड़कन को प्रभावित करती है. सही समय पर इसकी जानकारी होने पर हम खुदको इस खतरनाक बीमारी से बचा सकते हैं.

हार्ट डिजीज होता क्या हैं?

डॉ. आर.एन. त्रिपाठी का कहना है कि हमारा दिल एक पम्प की तरह काम करता है, जो खून को पूरे शरीर में पहुंचाता है. लेकिन जब कुछ नसें जो खून सप्लाई करती हैं जैसे (Coronary Arteries) में ब्लॉकेज हो जाता है, तब दिल को ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता है. यही कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) हार्ट अटैक की सबसे बड़ी वजह कहलाती है.

इसके अलावा और भी कई दिल की बीमारियां जैसे –

  • हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी दिक्कतें
  • दिल की धड़कन तेज होना या धीरे होना (Arrhythmia)
  • हार्ट फेलियर ( दिल की पंपिंग कम हो जाना )
  • Congenital heart disease (जन्मजात)

यह हृदय की बीमारियां किस वजह से होती हैं?

डॉ. आर.एन. त्रिपाठी बताते हैं कि उनके पास कई ऐसे मरीज़ आते हैं जिनमें ये कुछ आम कारण होते हैं –

  • बहुत से लोग ताली भुनी चीज़ें, ज़्यादा घी तेल और जंक फ़ूड खाते हैं जिसको खाने से कई दिक्कतें होती हैं.
  • धूम्रपान करने से और शराब पीने से नसों में सिकुड़न और plaque जाना हो जाता है.
  • तनाव और मानसिक दबाव होने के कारण बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं जो हमारे दिल पे असर करते हैं
  • डायबिटीज और मोटापा भी दिल पर बहुत दबाव डालते है.
  • बहुत से मरीज़ ऐसे आते हैं जिनके सीने में बायें तरफ़ दर्द या बीचों बीच कुछ चुभने जैसा दर्द होता है.
  • बहुत लोगों की हल्की ही मेहनत करने के बाद साँस फूलने लगती है.
  • बिना वजह ज़्यादा पसीना आना.
  • बहुत से लोग इसे गैस या एसिडिटी समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन कई बात ये छोटी दी लापरवाही हार्ट अटैक तक ले जाती है.

इसकी जांच कैसे होती है?

डॉ. आर.एन. त्रिपाठी कहते हैं कि डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ की हिस्ट्री और उसकी फ़ैमिली की हिस्ट्री जानते हैं और उनके लाइफस्टाइल के बारे में पूछते हैं. फिर कुछ ज़रूरी टेस्ट कराए जाते हैं जैसे

ECG (यह टेस्ट दिल की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को देखने के लिए किया जाता है)
ECHO (यह टेस्ट दिल की पंपिंग की पॉवर को टेस्ट करने के लिए किया जाता है)
TMT या स्ट्रेस टेस्ट (यह टेस्ट ब्लॉकेज पता करने के लिए होता है)
एंजियोग्राफी (यह टेस्ट कितनी नशें बंद है यह देखने के लिए होता है)
इसके कुछ समाधान भी हैं:

दवाइयां

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए, कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए, और ब्लड पतला करने की कुछ दवाईयां दी जाती हैं ताकि खून आसानी से बह सके.

लाइफस्टाइल बदलना

अपनी डाइट को सही करना जैसे ज़्यादा सब्ज़ियाँ खाना, फल खाना, और ओट्स नट्स खाना. नामक चीनी और घी तेल को कम मात्रा में खाना. रोज 30-40 मिनट योग करना या वाक करना.धूम्रपान और शराब छोड़ना और तनाव कम करने के लिए मैडिटेशन करना और गहरी नींद लेना.

मेडिकल चेकअप करवाते रहें

हर 6 महीने में एक बार BP, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करवानी चाहिए.अगर कोई ब्लॉकेज हो तो तुरंत ECG, ECHO और TMT की जांचे जरूर करवायें. सही समय पर दवाइयां लेना बहुत जरूरी है. अगर नसों में बहुत ब्लॉकेज हो जाती हैं तो स्टंट डालना और बाइपास सर्जरी की जाती है.

दिल को मज़बूत रखना बहुत जरूरी होता है और जो आपके हांथ में है, क्योंकि आजकल बहुत से लोग हैं जिनकी मृत्यु हृदय की बीमारियों से हो चुकी हो है. तो याद रखिए छोटी छोटी आदतें और हमारी थोड़ी सी जागरूकता हमे दिल की बीमारियों से दूर रख सकती है.

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