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Postpartum Depression Doctor Advice: लक्षण और इलाज?

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पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) : मां बनना जितना सुंदर अनुभव है, उतनी ही गहरी और जटिल यह यात्रा भी हो सकती है . बच्चे के जन्म के बाद कई महिलाएं भावनात्मक तूफानों से गुजरती हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज़ कर दिया जाता है . पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) ऐसा ही एक मानसिक स्वास्थ्य संकट है, जो नई मांओं को अंदर ही अंदर तोड़ सकता है . यह लेख एक संवेदनशील प्रयास है, जिससे मांओं की चुप्पी को आवाज़ मिल सके .

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पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) क्या है?

पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो डिलीवरी के बाद नई मांओं को प्रभावित करती है . यह सिर्फ “बेबी ब्लूज़” नहीं है – यह लंबे समय तक चलने वाली उदासी, थकावट, चिंता और आत्मग्लानि की स्थिति हो सकती है .

डॉ. श्रेया सिंह (क्लिनिकल साइकायट्रिस्ट), “डिलीवरी के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव, नींद की कमी और जिम्मेदारियों का दबाव मिलकर कुछ महिलाओं में डिप्रेशन जैसी स्थिति पैदा कर सकते हैं .”

लक्षण कैसे पहचानें?

पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम संकेत हैं:

  • लगातार उदासी, रोने का मन करना
  • बच्चे से जुड़ाव महसूस न होना
  • खुद को असक्षम, अपराधी या अकेला महसूस करना
  • अत्यधिक चिंता या पैनिक अटैक
  • नींद न आना (या ज़रूरत से ज़्यादा सोना)
  • भूख में बदलाव
  • चिड़चिड़ापन या गुस्सा
  • आत्महत्या या नुकसान पहुंचाने के विचार (गंभीर स्थिति में)

डॉ. निधि अग्रवाल (गायनोकोलॉजिस्ट):
“मांओं को दोष नहीं देना चाहिए – ये लक्षण हार्मोन, थकान और मानसिक तनाव का मिलाजुला असर होते हैं .”

कब और कैसे मदद लें?

पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) को नजरअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए . अगर लक्षण दो हफ्तों से ज्यादा समय तक बने रहें, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें .

  • मदद के तरीके:
  • अपने पार्टनर और परिवार से बात करें
  • डॉक्टर से समय लेकर मनोचिकित्सक या काउंसलर से मिलें
  • सपोर्ट ग्रुप या ऑनलाइन कम्युनिटी से जुड़ें
  • मेडिकेशन और थेरेपी से राहत मिल सकती है

मां प्रीति (यूज़र अनुभव):
“मुझे लगा मैं बुरी मां हूं क्योंकि मैं खुश नहीं थी . लेकिन जब मनोचिकित्सक से मिली, तब समझ आया – ये बीमारी है, कमजोरी नहीं . आज मैं ठीक हूं क्योंकि मैंने समय पर मदद ली .”

पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) से जुड़ी आम गलतफहमियां

  • “डिप्रेशन सिर्फ कमजोर महिलाएं महसूस करती हैं”
    नहीं, ये एक मेडिकल कंडीशन है जो किसी को भी हो सकती है .
  • “ये खुद ही ठीक हो जाएगा”
    बिना इलाज के हालत और बिगड़ सकती है .
  • “बच्चे से प्यार नहीं है, इसलिए डिप्रेशन है”
    पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) का प्यार से कोई लेना-देना नहीं, यह एक मानसिक संघर्ष है .

जागरूकता और समर्थन की ज़रूरत है

पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) के बारे में खुलकर बात करना जरूरी है . यह मांओं की मजबूती का नहीं, संवेदनशीलता का समय होता है . उन्हें जज न करें, सुनें, समझें और साथ दें .

मातृत्व सिर्फ बाहरी मुस्कान नहीं, अंदर का संघर्ष भी है . पोस्टपार्टम डिप्रेशन को पहचानना और स्वीकारना पहला कदम है मां की मानसिक सेहत को बचाने का . याद रखिए – मां भी इंसान है, और उसे भी उतनी ही देखभाल और प्यार की ज़रूरत होती है जितना नवजात को .

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