Health Tips: आज के समय में PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक ऐसी बीमारी बन चुकी है. जिससे अधिकतर युवतियाँ प्रभावित हो रही हैं. ये सिर्फ एक हार्मोनल समस्या नहीं है. बल्कि भविष्य की गंभीर बीमारियों का दरवाज़ा भी बन सकती है . गौर तलब यह है कि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन समय रहते अगर इसे समझा जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है .
PCOS एक हार्मोनल विकार है जिसमें महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) में कई छोटी-छोटी थैलियां (सिस्ट) बनने लगती हैं. ये सिस्ट अंडाणु के विकास और उनके रिलीज़ (ovulation) को प्रभावित करती हैं . इसका सीधा असर महिलाओं के पीरियड्स चक्र, प्रजनन क्षमता, त्वचा और शरीर के वजन पर पड़ता है .
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इस बीमारी में महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल, मुंहासे और बालों का झड़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं .
स्त्री प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. आराधना पांडेय कहती हैं कि बदलती जीवनशैली, फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन, नींद की कमी, तनाव और शारीरिक निष्क्रियता PCOS को बढ़ावा दे रहे हैं . पहले यह समस्या 30 साल से ऊपर की महिलाओं में ज्यादा देखी जाती थी, लेकिन अब 16-25 वर्ष की लड़कियों में भी यह सामान्य हो चुकी है .
डॉ आराधना पाण्डेय का मानना है कि PCOS का सीधा संबंध हमारी दिनचर्या और खानपान से है . अगर लड़कियां समय पर जागरूक हो जाएं तो इस पर पूरी तरह नियंत्रण पाया जा सकता है.
अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो PCOS आगे चलकर ये कई समस्याओं का कारण बन सकता हैं. जैसे-इन्फर्टिलिटी (बांझपन) ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज डिप्रेशन और एंग्जायटी डिसऑर्डर एंडोमेट्रियल कैंसर (बच्चेदानी की परत का कैंसर) आदि डॉ. आराधना पांडेय ने सलाह दी है कि प्रोसेस्ड फूड और मीठे से परहेज करें फाइबर से भरपूर फल-सब्जियां खाएं.
लो-कार्ब और हाई प्रोटीन डाइट अपनाए दिन में पर्याप्त पानी पिए. अच्छी डाइट के साथ रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या योग भी काफ़ी मददगार साबित होगा. अगर ज्यादा तनाव ग्रस्त रहते हैं तो मैडिटेशन करें पर्याप्त नींद लें. साल में एक बार अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट हार्मोन चेकअप करना बेहद जरूरी है यदि पीरियड्स अनियमित हों तो तुरंत विशेषज्ञ से मिलें.
PCOS कोई ख़तरनाक बीमारी नहीं है. लेकिन इसे नजरअंदाज करना आपको मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तोड़ सकता है. जरूरी है कि जागरूक रहें. समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं अगर किशोरावस्था से ही लड़कियों को इस विषय पर सही जानकारी दी जाए. तो आने वाली पीढ़ियों को इससे बचाया जा सकता है.
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