Teenage वह दौर है जब बच्चे सबसे ज्यादा जिज्ञासु और संवेदनशील होते हैं. इसी उम्र में साथियों का दबाव (peer pressure) और “कुछ नया ट्राई करने” की चाह उन्हें ड्रग्स, स्मोकिंग और अल्कोहल जैसी लत की ओर धकेल सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह शुरुआत अक्सर मज़ाक या एक्सपेरिमेंट की तरह होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह एडिक्शन (लत) का रूप ले लेती है. मोटापा: फिजिकल एक्टिविटी की कमी या फास्ट फूड जिम्मेदार?
शुरुआती लत कैसे लगती है?
दिल्ली स्थित डॉ. संजय चौहान (नशा मुक्ति विशेषज्ञ, NDDTC, AIIMS) बताते हैं –
“ज़्यादातर किशोर पहली बार नशे की ओर दोस्तों के दबाव या ग्रुप में फिट होने के लिए बढ़ते हैं. पहले सिर्फ एक पफ या एक ड्रिंक ‘फन’ लगता है, लेकिन दिमाग उस अनुभव को याद रखता है और बार-बार उसी एहसास की मांग करता है. यही आदत बाद में गंभीर लत में बदल जाती है.”
मानसिक और शारीरिक नुकसान
गुरुग्राम की स्कूल काउंसलर सुषमा वर्मा कहती हैं –
“ड्रग्स और अल्कोहल किशोरों के दिमाग के विकास को सीधा प्रभावित करते हैं. इससे उनकी कंसंट्रेशन, मेमोरी और इमोशनल स्टेबिलिटी पर असर पड़ता है. वहीं स्मोकिंग और अल्कोहल से शरीर पर दीर्घकालिक असर जैसे फेफड़ों की बीमारी, लिवर डैमेज और दिल की समस्या हो सकती है.”
परिवार और समाज की भूमिका
- माता-पिता अगर बच्चों के साथ ओपन बातचीत करें, तो किशोर जिज्ञासा में गलत रास्ते पर कम जाते हैं.
- स्कूलों में काउंसलिंग सेशन और अवेयरनेस प्रोग्राम जरूरी हैं.
- नशा मुक्ति केंद्रों और हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी किशोरों और अभिभावकों तक आसानी से पहुंचनी चाहिए.
रोकथाम के उपाय
- बच्चों को सकारात्मक शौक (खेल, संगीत, पढ़ाई, क्रिएटिव एक्टिविटीज़) में व्यस्त रखें.
- माता-पिता को बच्चों के फ्रेंड सर्कल और मूड स्विंग्स पर नजर रखनी चाहिए.
- नियमित हेल्थ चेकअप और साइकोलॉजिकल काउंसलिंग से शुरुआती लक्षणों को पकड़ा जा सकता है.
👉 साफ है कि पहला पफ या पहला ड्रिंक मज़ाक नहीं, बल्कि खतरनाक शुरुआत हो सकता है. किशोरों को बचाने के लिए परिवार, स्कूल और समाज – सभी को मिलकर सतर्क रहना होगा.

हालिया आंकड़े और सर्वे रिपोर्ट
Health Tips: जब किशोर पूछते हैं: मैं कौन हूं?
तंबाकू और अल्कोहल का व्यापक इस्तेमाल
Global Youth Tobacco Survey (2019): 13–15 वर्ष के स्कूल-जाने वाले बच्चों में तंबाकू उपयोग की दर 8.4% है. alarming यह कि 11.4% बच्चे 7 साल की उम्र से ही सिगरेट पीने लगते हैं, तथा 17.2% बिडी और 24% स्मोकलेस तंबाकू (जैसे गुटखा, खैनी, ज़र्दा) का उपयोग करते हैं.
ड्रग्स और अल्कोहल का राष्ट्रीय प्रचलन (2019)
राष्ट्रीय सर्वेक्षण (2019): भारत में 10–75 वर्ष की आयु के लगभग 160 मिलियन लोग (14.6%) वर्तमान में शराब का सेवन करते हैं; इनमें से 5.2% शराब पर निर्भर (dependent) हैं. लगभग 31 मिलियन लोग (2.8%) इसका प्रयोग करते हैं, और ओपिओइड का उपयोग 2.06% लोगों में पाया गया
किशोरों में नशीला पदार्थों का प्रयोग
एक अध्ययन में पाया गया कि 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में substanc e abuse की दर 13.1% थी.
उत्तरी भारत में पुरुष किशोरों पर आधारित एक अध्ययन:
- कुल में 15.02% किशोरों ने किसी रूप में नशीले पदार्थों का प्रयोग किया.
- धूम्रपान: 10.95%
- शराब: 3.34%
- अन्य ड्रग्स: 0.75%
नमक्कल (तमिलनाडु) में तंबाकू का बढ़ता प्रयोग
हालिया अध्ययन में पाया गया कि एक-5-वां हाई-स्कूल छात्र (21%) तंबाकू का प्रयोग करता है—अक्सर स्मोकलेस रूप में. शुरुआत औसतन 13–15 साल की उम्र में होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह 9 वर्ष की उम्र में भी देखी गई. ज़्यादातर उपयोग कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान शुरू हुआ; कई सप्ताह में 5 से अधिक बार तक उपयोग की रिपोर्ट मिली.
बंगाल में किशोरों की शुरुआत 14–18 वर्ष में
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS): पश्चिम बंगाल में लगभग आधे पुरुष और लगभग 10% महिलाएं धूम्रपान करती हैं. अधिकांश किशोर 14–18 वर्ष की उम्र में इस आदत को अपनाते हैं, जो कि नशा शुरू होने की संवेदनशील अवधि है.
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