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Health: AI से Cancer की शुरुआती पहचान?

cancer AI

Cancer AI: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो समय पर पहचान न होने पर जानलेवा साबित हो सकती है . लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ज़रिए कैंसर की शुरुआती स्टेज में पहचान संभव हो रही है . स्कैन, बायोप्सी, और डेटा एनालिसिस को AI तकनीक के ज़रिए पढ़कर डॉक्टर अब पहले से कहीं ज्यादा तेजी और सटीकता से कैंसर का पता लगा पा रहे हैं .

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AI कैसे करता है काम?

AI सिस्टम को लाखों मेडिकल रिपोर्ट्स, CT स्कैन, MRI और बायोप्सी स्लाइड्स से ट्रेन किया जाता है . इसके बाद ये एल्गोरिद्म पैटर्न्स को पहचानते हैं और बताते हैं कि किसी मरीज को कैंसर की आशंका कितनी है .

विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, और स्किन कैंसर जैसे मामलों में AI आधारित स्कैनिंग सिस्टम्स 90% से अधिक सटीकता के साथ रिपोर्ट कर रहे हैं .

वरिष्ठ डॉक्टर रचना अग्रवाल (वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट, राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट, दिल्ली) का नजरिया:

“AI एक बेहतरीन टूल है, लेकिन यह डॉक्टर का विकल्प नहीं है . शुरुआती पहचान के लिए यह सहायक है, खासकर रिमोट एरिया या प्राइमरी चेकअप सेंटर्स में जहां विशेषज्ञों की कमी है . लेकिन अंतिम निर्णय अभी भी डॉक्टर की क्लिनिकल जांच और अनुभव पर ही आधारित होना चाहिए .”

डॉ. रचना बताती हैं कि आज के समय में AI से ब्रेस्ट कैंसर की मैमोग्राफी रिपोर्ट 8 से 10 मिनट में आ सकती है, जो पहले घंटों लेती थी .

AI के फायदे:

  • शुरुआती स्टेज में कैंसर पकड़ में आ सकता है
  • रिपोर्ट में मानवीय गलती की संभावना कम
  • मरीजों के लिए कम समय में रिजल्ट
  • ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में स्क्रीनिंग आसान

क्या हैं सीमाएं?

  • हर डेटा पर AI उतना सटीक नहीं होता
  • भारत में अभी सीमित अस्पतालों में उपलब्ध
  • तकनीक का दुरुपयोग या गलत निर्णय की संभावना
  • केवल तकनीक पर निर्भरता खतरनाक हो सकती है

सरकार और रिसर्च की भूमिका:

भारत सरकार और ICMR जैसे संस्थान अब AI आधारित कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम्स पर काम कर रहे हैं . कुछ राज्यों में ट्रायल प्रोजेक्ट्स भी चल रहे हैं, खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग में .

AI कैंसर की शुरुआती पहचान में उम्मीद की किरण बनकर उभरा है, लेकिन यह सहायक तकनीक है, कोई जादू नहीं . सटीक इलाज के लिए इंसानी डॉक्टर की अनुभवी नजर और AI का तेज दिमाग – दोनों की जरूरत है .

आने वाले समय में जब ये तकनीक हर अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचेगी, तब कैंसर से होने वाली मौतों में निश्चित रूप से बड़ी कमी देखी जा सकेगी .

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