आज की तेज-रफ्तार जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को नजरअंदाज करना बहुत आम हो गया है. कई बार लोग खुद यह महसूस भी नहीं कर पाते कि वे डिप्रेशन (Depression) का शिकार हो रहे हैं. सबसे पहला और बड़ा संकेत है — लगातार निगेटिव बातें सोचना. अगर दिमाग हर छोटी-बड़ी चीज़ को लेकर नकारात्मक सोचने लगे, तो यह सिर्फ तनाव (Stress) नहीं बल्कि डिप्रेशन की ओर इशारा कर सकता है.
डिप्रेशन क्यों होता है?
डिप्रेशन के पीछे कई कारण हो सकते हैं: लगातार काम का दबाव और स्ट्रेस, पर्सनल या प्रोफेशनल रिश्तों में तनाव, हार्मोनल बदलाव, किसी अपने को खोने का गम, लंबे समय तक चलने वाली बीमारी.
शुरुआती लक्षण जो न करें इग्नोर
हर समय उदासी या खालीपन महसूस होना, पहले पसंद आने वाले कामों में दिलचस्पी न रहना, भूख और नींद की आदतों में बदलाव, छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन या गुस्सा, खुद को बेकार या गुनहगार समझना, बार-बार निगेटिव बातें सोचना और भविष्य को लेकर डरना.
क्यों है खतरनाक?
अगर समय रहते डिप्रेशन को पहचाना और संभाला न जाए, तो यह:
1. लाइफ क्वालिटी पर असर डाल सकता है.
2. रिश्तों में दूरी पैदा कर सकता है.
3. फिजिकल हेल्थ को भी बिगाड़ सकता है.
4. गंभीर मामलों में आत्मघाती विचारों तक ले जा सकता है.
बचाव और इलाज
1. लाइफस्टाइल में बदलाव करें – एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन अपनाएं.
2. खुलकर बात करें – परिवार या दोस्तों से अपनी फीलिंग्स शेयर करें.
3. सोशल कनेक्शन बढ़ाएं – अकेले रहने से बचें.
4. प्रोफेशनल मदद लें – अगर लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो साइकेट्रिस्ट या काउंसलर से जरूर संपर्क करें.