आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग आराम के लिए महंगे गद्दों, सॉफ्ट बेड और आरामदायक तकियों का सहारा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे पूर्वजों की परंपरा — जमीन पर सोना — सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी?
आयुर्वेद और आधुनिक हेल्थ एक्सपर्ट्स दोनों मानते हैं कि जमीन पर सोना शरीर को प्राकृतिक संतुलन में लाता है और कई गंभीर बीमारियों से बचाव करता है.
ये 3 बीमारियां हो जाएंगी गायब
पीठ दर्द और स्पाइनल प्रॉब्लम में अद्भुत राहत
सॉफ्ट बेड पर सोने से रीढ़ की हड्डी का नैचुरल शेप बिगड़ सकता है. वहीं, जमीन पर सोने से स्पाइन सीधी रहती है, जिससे लोअर बैक पेन, स्लिप डिस्क और मांसपेशियों के खिंचाव जैसी समस्याएं दूर होती हैं.
नींद न आने (अनिद्रा) की समस्या में आराम
गद्दों पर शरीर धंस जाता है जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जमीन पर सोने से शरीर की ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होती है और शरीर खुद को रिलैक्स मोड में लाता है. इससे मन शांत होता है और नींद गहरी आती है नींद की गोलियों की जरूरत नहीं.
ब्लड सर्कुलेशन और पाचन में सुधार
जमीन पर सोने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, इसका सीधा असर पाचन तंत्र और हृदय स्वास्थ्य पर पड़ता है.
कब न सोएं जमीन पर
सर्दियों में ठंडी जमीन पर सीधे न सोएं — नीचे दरी या चटाई बिछाएं, जिन्हें अस्थमा, गठिया या जोड़ों में दर्द की समस्या है, वे डॉक्टर की सलाह के बिना ऐसा न करें, हमेशा साफ-सुथरी जगह और हल्का तकिया इस्तेमाल करें.
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