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रामगोपाल वर्मा का बड़ा बयान : ‘धुरंधर’ भारतीय सिनेमा में एक क्वांटम लीप

Ram Gopal Varma's big statement: 'Dhurandhar' is a quantum leap in Indian cinema

प्रसिद्ध और विभाग फिल्में कर रामगोपाल वर्मा ने निर्देशक आदित्याधर की फिल्म धुरंधर को लेकर ऐसा बयान दिया है जो भारतीय सिनेमा में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा। वर्मा के अनुसार धुरंधर किसी भी मायने में एक सामान्य फिल्म नहीं है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में आया एक क्वांटम लीप है, जिसने न केवल बॉलीवुड बल्कि पूरे देश के सिनेमा के भविष्य को एक नई दिशा दे दी है। उनका मानना है कि इस फिल्म ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय सिनेमा अब पुराने फार्मूला और सुरक्षित रास्तों से आगे निकल चुका है।

मुख्य धारा सिनेमा की भाषा बदलती धुरंधर

रामगोपाल वर्मा ने धुरंधर को एक ऐसी फिल्म बताया जो शालीन और सुरक्षित सिनेमा से साफ इंकार करती है। उनके अनुसार इसकी लेखनी धारदार है, इसकी स्टेजिंग में लगातार खतरे की मौजूदगी महसूस होती है और साइलेंस को भी उतनी ही ताकत से इस्तेमाल किया गया है जितना जोरदार साउंड डिजाइन को। RGV का कहना है कि आदित्य धर यह समझते हैं की कहानी कहने की असली शक्ति शोर नहीं, बल्कि दबाव में होती है – एक ऐसा दबाव जो हर सीन के साथ बढ़ता जाता है, जैसे कोई कसी हुई स्प्रिंग, जिसके टूटने का अंदेशा लगातार बना रहता है। तकनीकी रूप से भी वर्मा ने फिल्म की जमकर तारीफ की।

उनके मुताबिक साउंड डिजाइन यहां सजावट नहीं, बल्कि कहानी का पीछा करने वाला एक जीवित तत्व है। कैमरा मूक दर्शक नहीं रहता, बल्कि शिकारी की तरह किरदारों के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। एक्शन दृश्य तालियों के लिए नहीं, बल्कि वास्तविक, अहसज और कच्ची हिंसा को महसूस करने के लिए रचे गए हैं। राम गोपाल वर्मा का कहना है कि धुरंधर यह साबित करती है कि भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय बनने के लिए ना तो खुद को हल्का करना होगा और ना ही हॉलीवुड की नकल करनी पड़ेगी।

रामगोपाल वर्मा के बयान पर आदित्या धर का भावुक जवाब

रामगोपाल वर्मा के इस बयान के बाद डायरेक्टर आदित्य धर ने भी एक बेहद भावनात्मक और आत्मीय प्रतिक्रिया दी, जिसने इस पूरे संवाद को और खास बना दिया। आदित्य धर ने लिखा –

“सर…
अगर यह ट्वीट एक फिल्म होता, तो मैं उसे फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखा आखिरी पंक्ति में बैठता और बदला हुआ बाहर निकलता।

मैं सालों पहले एक सूटकेस, एक सपना और इस ‘गैरवाजिब’ विश्वास के साथ मुंबई आया था कि एक दिन रामगोपाल वर्मा के साथ काम करूंगा। वह कभी नहीं हो पाया लेकिन बिना जाने ही कहीं ना कहीं मैं आपके सिनेमा के भीतर काम करता रहा। आपकी फिल्मों ने मुझे फिल्म बनाना नहीं सिखाया, उन्होंने मुझे खतरनाक तरीके से सोचना सिखाया।”

आदित्य धर ने आगे लिखा कि रामगोपाल वर्मा द्वारा धुरंधर को “क्वांटम लीप”कहना उनके लिए अविश्वसनीय, भावनात्मक और थोड़ा डरने वाला भी है, क्योंकि अब उनसे आगे जो भी काम होगा, उसे इस स्तर की उम्मीद पर खड़ा उतरना होगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अगर धुरंधर में दर्शकों को समझदार मानकर फिल्म बनाई गई है, तो उसकी प्रेरणा सीधे रामगोपाल वर्मा से आती है।

अपने संदेश के अंत में आदित्य धर ने कहा –

“अगर धुरंधर में उसे निडर और बेपरवाह सिनेमा का थोड़ा सा भी डीएनए है, तो वह आपकी फिल्मों की वजह से है। मेरे भीतर का प्रशंसक अभिभूत है, मेरा भीतर का फिल्म मेकर चुनौती महसूस कर रहा है, और वह लड़का, जो कभी मुंबई आया था रामगोपाल वर्मा के साथ काम करने का सपना लेकर…
आज पहली बार खुद को देखा हुआ महसूस कर रहा है।”

बता दे चले कि यह पूरा संवाद सिर्फ तारीफ और प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की दो पीडिया के बीच एक ऐतिहासिक और भावनात्मक फूल बन गया है – जहां एक दिग्गज फिल्ममेकर की स्वीकृति, आने वाले दौर के सिनेमा के लिए प्रेरणा और जिम्मेदारी- दोनों बनकर सामने आई है।

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