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Teenagers की नजर से आज का Bollywood : मस्ती, इमोशन और ट्रेंडी कंटेंट

Bollywood 2025: Bollywood जिसे कभी सिर्फ गाने, नाच और ग्लैमर के लिए जाना जाता था, अब 2025 में एक नई पहचान बना चुका है. आज की फिल्मों में असली और रिलेटेबल कहानियाँ, मजबूत महिला किरदार, और समाजिक मुद्दों पर खुलकर बात करना ट्रेंड बन गया है. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की वजह से कंटेंट में जबरदस्त विविधता और बोल्डनेस आ गई है. अब सिर्फ थिएटर ही नहीं, मोबाइल और लैपटॉप पर भी फिल्में देखना आम हो गया है. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आज के टीनएजर्स बॉलीवुड से क्या उम्मीद करते हैं और उनकी पसंद कैसी बदल गई है.

बॉलीवुड (Bollywood) का सफर

भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में ‘राजा हरिश्चंद्र’ से हुई थी. शुरुआती फिल्मों में पारिवारिक मूल्य, समाज की परंपराएँ और मेलोड्रामा प्रमुख थे. 1950-60 के दशक में राज कपूर और नरगिस जैसे स्टार्स की फिल्में सामाजिक संदेशों से भरी होती थीं. 1970 के दशक में ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी मसाला फिल्में आईं, जिनमें एक्शन और हीरोइज्म का बोलबाला रहा.

1980-90 के दशक में रोमांस और फैमिली ड्रामा का दौर चला—’दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी फिल्में युवाओं की फेवरेट बनीं. 2000 के बाद ‘लगान’, ‘रंग दे बसंती’, ‘तारे ज़मीन पर’ जैसी फिल्मों ने नए मुद्दों और ताजगी भरी सोच को जगह दी.

2020 के बाद से, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स (जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम) के आने से कंटेंट में जबरदस्त विविधता और बोल्डनेस आई. अब सिर्फ बड़े पर्दे की फिल्में ही नहीं, बल्कि वेब सीरीज़ और डिजिटल फिल्में भी युवाओं की पसंद बन गई हैं.

Teenagers की नजर से आज का Bollywood

आज के टीनएजर्स फिल्मों को सिर्फ टाइमपास या एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि खुद को पहचानने, समाज को समझने और प्रेरणा पाने का जरिया मानते हैं. उनकी पसंद और सोच पहले से कहीं ज्यादा खुली, जागरूक और प्रैक्टिकल हो गई है.

– असली और रिलेटेबल कहानियां

युवाओं को वे फिल्में ज्यादा पसंद आती हैं, जिनमें उनकी अपनी लाइफ की झलक दिखती है—जैसे कॉलेज लाइफ, दोस्ती, फैमिली प्रेशर, करियर की चिंता, सोशल मीडिया का असर और आत्मविश्वास की तलाश. जब वे स्क्रीन पर खुद जैसी कहानियाँ देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि वे अकेले नहीं हैं और उनकी बात भी सुनी जा रही है.

“मुझे ऐसी फिल्में पसंद हैं जिनमें कॉलेज लाइफ, दोस्ती और फैमिली प्रेशर जैसी बातें रियल दिखें.” — आयुष, 17 साल, दिल्ली

– मजबूत महिला किरदार और जेंडर इक्वालिटी

अब लड़कियां सिर्फ हीरोइन नहीं, बल्कि कहानी की हीरो भी बन रही हैं. आज के युवा चाहते हैं कि फिल्में जेंडर स्टीरियोटाइप्स को तोड़ें और महिलाओं को बराबरी के रोल में दिखाएँ. लड़के भी अब बराबरी की सोच को पसंद करते हैं. इससे उन्हें प्रेरणा मिलती है और वे खुद को भी मजबूत महसूस करते हैं.

“अब लड़कियाँ सिर्फ हीरोइन नहीं, बल्कि हीरो भी बन सकती हैं. मुझे ‘दंगल’ और ‘गली बॉय’ की लड़कियाँ बहुत इंस्पायर करती हैं.” — साक्षी, 18 साल, कानपुर

–सामाजिक मुद्दे और नई सोच

आज के टीनएजर्स मेंटल हेल्थ, LGBTQ+ राइट्स, बॉडी पॉजिटिविटी, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि फिल्में सिर्फ मनोरंजन न होकर, समाज में बदलाव लाने का जरिया भी बनें.

“मेंटल हेल्थ, LGBTQ+ जैसे टॉपिक्स पर फिल्में बननी चाहिए.” — उन्नति, 17 साल, मुंबई

– मस्ती, इमोशन और ट्रेंडी कंटेंट

फिल्मों में मस्ती, ह्यूमर, दोस्ती, रोमांस और इमोशनल कनेक्शन भी जरूरी है. टीनएजर्स चाहते हैं कि फिल्में उन्हें हँसाएँ, रुलाएँ और दिल से जोड़ें. फिल्मी गाने, डांस स्टेप्स और फैशन ट्रेंड्स उनकी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुके हैं. वे सोशल मीडिया पर इन ट्रेंड्स को फॉलो करते हैं और खुद भी रील्स बनाते हैं.

“कॉमेडी और मस्ती के साथ इमोशन भी जरूरी है. ‘Student of the Year’ जैसी फिल्में देखकर फ्रेश फील होता है.” — मयंक, 16 साल, गोरखपुर
“फिल्मों के गाने, डांस स्टेप्स और फैशन ट्रेंड्स हमें बहुत अट्रैक्ट करते हैं.” — आरव, 15 साल, पटना

–विविधता और नयापन

हर बार वही रोमांस या एक्शन देखकर युवा बोर हो जाते हैं. वे हॉरर, थ्रिलर, बायोपिक, स्पोर्ट्स, फैंटेसी जैसी अलग-अलग जॉनर की फिल्में देखना पसंद करते हैं. नया कंटेंट उन्हें बोरियत से दूर रखता है और कुछ नया सोचने को मजबूर करता है.

“हर बार वही रोमांस या एक्शन देखकर बोर हो जाते हैं. कुछ नया—जैसे हॉरर, थ्रिलर या बायोपिक—देखना अच्छा लगता है.” — युवराज, 18 साल, जयपुर

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– डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और OTT का असर

अब फिल्में सिर्फ थिएटर तक सीमित नहीं रहीं. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आने वाली वेब सीरीज़ और फिल्में युवाओं की पसंद में शामिल हो गई हैं. यहां कंटेंट ज्यादा रियल, बोल्ड और विविध होता है. OTT ने रीजनल और ग्लोबल कंटेंट को भी युवाओं के करीब ला दिया है.

“अब हम सिर्फ थिएटर नहीं, बल्कि OTT पर भी फिल्में और वेब सीरीज देखते हैं. वहां ज्यादा रियल और बोल्ड कंटेंट मिलता है.” — दिव्या, 17 साल, हैदराबाद

टीनएजर्स की पसंद के पीछे की वजहें

आज के युवाओं को सबसे ज्यादा पसंद वे फिल्में आती हैं, जिनकी कहानियाँ बिल्कुल असली लगती हैं. वे चाहते हैं कि फिल्मों में उनकी अपनी जिंदगी की झलक दिखे—जैसे कॉलेज लाइफ, दोस्ती, फैमिली प्रेशर या करियर की टेंशन. जब वे स्क्रीन पर खुद जैसी कहानियां देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि वे अकेले नहीं हैं और उनकी बात भी सुनी जा रही है.

मजबूत महिला किरदार भी आज के टीनएजर्स की बड़ी पसंद हैं. लड़कियाँ चाहती हैं कि वे सिर्फ हीरोइन न बनें, बल्कि असली हीरो की तरह दिखें. लड़के भी अब बराबरी की सोच को पसंद करते हैं. इससे उन्हें प्रेरणा मिलती है और वे खुद को भी मजबूत महसूस करते हैं.

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सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बात करने वाली फिल्में भी युवाओं को आकर्षित करती हैं. चाहे मेंटल हेल्थ हो, LGBTQ+ अधिकार हों या बॉडी पॉजिटिविटी—युवाओं को लगता है कि इन मुद्दों पर फिल्में बनना जरूरी है ताकि समाज में बदलाव आ सके.

मस्ती, इमोशन और ट्रेंडी कंटेंट भी टीनएजर्स के लिए जरूरी है. वे ऐसी फिल्में पसंद करते हैं, जिनमें हंसी-मजाक, दोस्ती, रोमांस और दिल से जुड़ाव हो. फिल्मी गाने, डांस स्टेप्स और फैशन ट्रेंड्स उनकी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुके हैं. वे सोशल मीडिया पर इन ट्रेंड्स को फॉलो करते हैं और खुद भी रील्स बनाते हैं.

इसके अलावा, युवा हमेशा कुछ नया देखना चाहते हैं. बार-बार वही रोमांस या एक्शन देखकर वे बोर हो जाते हैं, इसलिए हॉरर, थ्रिलर, बायोपिक या अलग-अलग जॉनर की फिल्में उनकी पसंद में शामिल हैं. नया कंटेंट उन्हें बोरियत से दूर रखता है और कुछ नया सोचने को मजबूर करता है.

आज के टीनएजर्स के लिए लोकप्रिय फिल्में (2025)

  • Metro… In Dino: मॉडर्न रिलेशनशिप्स और यंग अर्बन लाइफ पर आधारित.
  • Param Sundari: कल्चर क्लैश, रोमांस और कॉमेडी का तड़का.
  • Chhaava: इतिहास और देशभक्ति से जुड़ी कहानी.
  • Superboys Of Malegaon: छोटे शहर के सपनों और दोस्ती की कहानी.
  • Student of the Year, 3 Idiots, Jaane Tu Ya Jaane Na: ये फिल्में आज भी युवाओं के बीच फेवरेट हैं.

2025 का बॉलीवुड (Bollywood) असली, रिलेटेबल और विविध कहानियों का प्रतीक बन गया है. आज के टीनएजर्स फिल्मों में खुद को, अपने सपनों और संघर्षों को देखना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि बॉलीवुड उनकी आवाज़ सुने, उनकी कहानियां दिखाए, और समाज में पॉजिटिव बदलाव लाए. यही आज के बॉलीवुड की असली पहचान है—जहाँ युवा सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि कहानी के हिस्सेदार बन गए हैं.

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