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CityofJoy: नाम मिलने की असली वजह क्या है? जानिए

Knowledge Tips: भारत में कई शहर अपनी अलग पहचान के लिए जाने जाते हैं, लेकिन जब बात “City of Joy” की आती है, तो सबसे पहले नाम आता है कोलकाता (पश्चिम बंगाल) का. सवाल यह है कि आखिर कोलकाता को ही City of Joy क्यों कहा जाता है? इसके पीछे इतिहास, संस्कृति और लोगों की सोच से जुड़ी कई खास वजहें हैं.

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किताब से मिला “City of Joy” नाम
कोलकाता को City of Joy कहे जाने की सबसे बड़ी वजह है फ्रांसीसी लेखक डोमिनिक लैपियर (Dominique Lapierre) की मशहूर किताब “The City of Joy”. यह किताब कोलकाता के गरीब इलाकों में रहने वाले लोगों के संघर्ष, जज़्बे और कठिन हालात में भी खुश रहने की कला को दर्शाती है. किताब ने दुनिया को दिखाया कि कैसे मुश्किलों के बावजूद यहां के लोग मुस्कुराना नहीं छोड़ते.

दुख में भी खुशी ढूंढने का जज़्बा
कोलकाता के लोग सीमित संसाधनों में भी जीवन को उत्सव की तरह जीते हैं, छोटी-छोटी खुशियों में संतोष, रिश्तों की गहराई
पड़ोस और समाज से जुड़ाव, यही बातें इस शहर को बाकी शहरों से अलग बनाती हैं.

संस्कृति और कला की राजधानी
कोलकाता को भारतीय संस्कृति, साहित्य और कला का गढ़ माना जाता है. रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान व्यक्तित्व. थिएटर, पेंटिंग, कविता और संगीत, दुर्गा पूजा जैसे भव्य और भावनात्मक त्योहार, यहां उत्सव सिर्फ मनाए नहीं जाते, बल्कि जीए जाते हैं, जो शहर को खुशी से भर देते हैं.

दुर्गा पूजा: खुशी का सबसे बड़ा प्रतीक
कोलकाता की दुर्गा पूजा दुनिया भर में प्रसिद्ध है. महीनों पहले से तैयारियां, पंडालों की भव्यता और लोगों का उत्साह, सब मिलकर शहर को एक बड़े जश्न में बदल देते हैं. यही वजह है कि इस दौरान पूरा शहर सच में City of Joy बन जाता है.

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