Advertisement

क्यों कहते हैं कि कछुआ Lord Vishnu का प्रतीक है? जानिए रहस्य!

हिंदू धर्म में प्रत्येक जीव-जंतु और तत्व का अपना एक विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है. इन्हीं में से एक है कछुआ (कूर्म) — जिसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों कछुआ भगवान विष्णु से जोड़ा गया है? आइए जानते हैं इस रहस्य के पीछे की कथा और विज्ञान दोनों ही पहलू.

कूर्म अवतार की कथा
हिंदू पुराणों के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, तब मंदराचल पर्वत को मंथन के लिए मथानी के रूप में प्रयोग किया गया. लेकिन पर्वत समुद्र में धँसने लगा, तब भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया — जिसे ‘कूर्म अवतार’ कहा गया — और अपने कवच पर पूरे पर्वत को सहारा दिया, इस प्रकार, सृष्टि की रक्षा के लिए कछुए रूप में भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए.

आध्यात्मिक अर्थ
कछुआ अपने शरीर के अंगों को भीतर समेट लेता है, जो संयम, एकाग्रता और ध्यान का प्रतीक है. इसी तरह, भगवान विष्णु का यह रूप हमें सिखाता है कि जीवन में स्थिरता और धैर्य बनाए रखना ही सच्ची शक्ति है.

वास्तु और कछुआ
वास्तु शास्त्र में भी कछुए को बहुत शुभ माना गया है, कहा जाता है कि घर में धातु या क्रिस्टल का कछुआ रखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, और घर में स्थिरता आती है. यह धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.

विज्ञान की दृष्टि से
विज्ञान के अनुसार, कछुआ एक ऐसा जीव है जो लंबे समय तक जीवित रहता है और अत्यंत शांत स्वभाव का होता है, उसकी धीमी चाल और लंबी उम्र स्थिरता और दीर्घायु का प्रतीक मानी जाती है, जो भगवान विष्णु की “पालनकर्ता” शक्ति से जुड़ती है.

ये भी पढ़े- Pradosh Fast पर करें ये आरती भोलेनाथ तुरंत होंगे प्रसन्न!