घर में शीशा (Mirror) केवल सजावट के लिए ही नहीं, बल्कि वास्तु शास्त्र के अनुसार यह ऊर्जा, समृद्धि और सौभाग्य से भी जुड़ा होता है. अगर इसे सही दिशा में लगाया जाए तो यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली बढ़ाता है. लेकिन, गलत दिशा में शीशा लगाने से घर में तनाव, आर्थिक हानि और अशांति जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
वास्तु शास्त्र में शीशे का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार शीशा एक ऐसा तत्व है जो ऊर्जा को प्रतिबिंबित (reflect) करता है, इसलिए यह जरूरी है कि इसे ऐसी जगह लगाया जाए जहाँ से यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाए और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करे.
घर में शीशा लगाने की शुभ दिशाएं
उत्तर या पूर्व दिशा (North/East Direction):
यह सबसे शुभ दिशा मानी जाती है, इन दिशाओं में शीशा लगाने से घर में सकारात्मकता और संपन्नता बढ़ती है. सुबह की सूरज की किरणें शीशे से टकराकर घर में रोशनी और ऊर्जा बढ़ाती हैं.
ड्रॉइंग रूम में उत्तर दीवार पर शीशा लगाना शुभ: मेहमानों के स्वागत की दिशा में शीशा लगाने से घर की ऊर्जा संतुलित रहती है.
ड्रेसिंग टेबल के लिए पूर्व दिशा बेहतर: इस दिशा में शीशा होने से आत्मविश्वास और सौंदर्य भावना बढ़ती है.
इन जगहों पर शीशा लगाने से बचें
दक्षिण या पश्चिम दिशा: इन दिशाओं में शीशा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
बिस्तर के सामने शीशा: इससे दांपत्य जीवन में तनाव और अनिद्रा की समस्या हो सकती है.
मुख्य द्वार के ठीक सामने: इससे घर में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा वापस लौट जाती है.
शीशा लगाने के वास्तु उपाय
शीशे को हमेशा साफ और चमकदार रखें, टूटा या क्रैक्ड शीशा तुरंत हटा दें, यदि जगह कम है, तो शीशा लगाते समय उसके रिफ्लेक्शन में कूड़ा, गैस स्टोव या बेड न दिखे.
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