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अक्षय नवमी 2025: इस दिन भूलकर भी न करें ये काम, वरना Lakshmi जी रूठ जाएंगी!

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी कहा जाता है, यह दिन धर्म, दान और पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन किया गया पुण्य “अक्षय” यानी कभी न समाप्त होने वाला फल देता है, लेकिन इस दिन कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, वरना मां लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह सकते हैं.

अक्षय नवमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आंवला नवमी के लिए आवश्यक कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट से शुरू होगी और यह 31 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक मान्य है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर आंवला नवमी या अक्षय नवमी 31 अक्टूबर शुक्रवार को है. आंवला नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 3 घंटे 31 मिनट तक है. आंवला नवमी पूजा का शुभ समय सुबह 6 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा और यह सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में आपको आंवला नवमी की पूजा कर लेनी चाहिए. आंवला नवमी के दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:49 ए एम से 05:41 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय या अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है.

अक्षय नवमी का धार्मिक महत्व
पुराणों में वर्णन है कि इसी दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और उन घरों में निवास करती हैं जहां सफाई, शुद्धता और श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है, इस दिन तुलसी पूजन, अन्न दान, और गाय की सेवा का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन तुलसी और आंवले का पूजन करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं होती.

इन 5 कामों से बचें वरना रूठ जाएंगी मां लक्ष्मी
झगड़ा या क्रोध न करें – इस दिन मन को शांत रखें, क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा लक्ष्मी जी को अप्रिय होती है.
घर गंदा न रखें – गंदगी वाले घर में लक्ष्मी का वास नहीं होता। इस दिन विशेष रूप से सफाई करें.
किसी को अपमानित या अपशब्द न कहें – इससे पुण्य फल नष्ट हो जाता है.
अनाज या दूध व्यर्थ न जाने दें – अन्न का अपमान करना लक्ष्मी जी का अपमान माना गया है.
सूर्यास्त के बाद तुलसी में दिया जलाना न भूलें – यह करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में स्थायी निवास करती हैं.

अक्षय नवमी पर क्या करें शुभ कार्य
तुलसी, आंवला और गाय की पूजा करें, गरीबों को भोजन और कपड़े दान दें, परिवार के साथ मां लक्ष्मी की आराधना करें, पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर मनोकामना मांगे.

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