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गाय को मोक्षदायिनी क्यों कहा जाता है? जानिए Hindu धर्म का हजारों साल पुराना रहस्य

GauSeva: हिंदू धर्म में गाय को सिर्फ एक पशु नहीं, बल्कि माता का दर्जा दिया गया है. शास्त्रों में उसे “मोक्षदायिनी” यानी मुक्ति देने वाली कहा गया है, लेकिन क्या वजह है कि गाय को इतना पवित्र माना जाता है? आइए जानें इस मान्यता के पीछे का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अर्थ.

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गाय को मोक्षदायिनी कहने के धार्मिक कारण
गाय के शरीर में 33 कोटि देवताओं का वास- प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि गाय को छूने, सेवा करने और पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल मिलता है, इसी कारण इसे पुण्यदायिनी और मोक्षदायिनी कहा गया.

गौ-सेवा को माना जाता है पापों का नाश- स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णन मिलता है कि गाय की सेवा, भोजन और रक्षा करने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होता है, इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया गया है.

अंतिम समय में ‘गौदान’ का विशेष महत्व- हिंदू संस्कारों में गाय का दान—गौदान—को सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है, मान्यता है कि इससे मृत आत्मा को परलोक की यात्रा में कष्ट नहीं होते.

पंचगव्य को माना गया पवित्र अमृत- गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर से तैयार पंचगव्य को शुद्धिकरण और आध्यात्मिक साधना में विशेष माना गया, यही कारण है कि गाय के उत्पादों को भी मोक्ष मार्ग में सहायक माना जाता है.

आध्यात्मिक महत्व: क्यों कहा जाता है ‘गऊ माता’?
गाय को धैर्य, करुणा और मातृत्व का प्रतीक माना गया है. भारत की परंपरा में गाय हमेशा से पालन-पोषण का स्रोत रही है, दूध और उससे मिलने वाला भोजन पूर्ण आहार माना गया. गाय के बिना प्राचीन भारतीय जीवन अधूरा था—इसलिए उसे “माता” जैसा सम्मान मिला.

वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण
भले ही मोक्षदायिनी शब्द धार्मिक महत्व रखता हो, लेकिन समाज में गाय की भूमिका भी उतनी ही खास रही है, दूध और घी उच्च पोषण के स्रोत, गोबर से ईंधन और खाद, गोमूत्र का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में इस तरह गाय कई स्तरों पर जीवनदायिनी मानी गई और यही सम्मान उसे मोक्षदायिनी की उपाधि तक ले गया.

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