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Aam ki lakdi: आखिर हवन में सिर्फ आम की लकड़ी ही क्यों जलाई जाती है? जानिए

AamKiLakdi: भारतीय वैदिक परंपरा में हवन को पवित्र अनुष्ठान माना जाता है, और इसमें उपयोग की जाने वाली सामग्री भी विशेष रूप से चुनी जाती है, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण है आम की लकड़ी. आम की लकड़ी से उत्पन्न धुआं, स्पंदन और ऊर्जा इसे अन्य लकड़ियों की तुलना में अधिक प्रभावकारी बनाते हैं.

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क्यों प्रिय मानी जाती है आम की लकड़ी
वैदिक ग्रंथों में आम के पेड़ को देव-वृक्ष बताया गया है, मान्यता है कि आम की लकड़ी से निकलने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है और देवताओं को संतुष्ट करता है.. आचार्य डॉ. संदीप त्रिवेदी (वैदिक विशेषज्ञ) के अनुसार आम की लकड़ी का धुआं मंत्रों के कंपन को बढ़ाता है, इसलिए हवन की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है.

वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक अपनी रिसर्च में कहते हैं कि आम की सूखी लकड़ी जलने पर ऐसा धुआं निकलता है, जो हवा में मौजूद कई प्रकार के बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देता है, उनके अनुसार आम की लकड़ी का धुआं कमरे की वायु को 30–40% तक शुद्ध कर देता है, जिससे वातावरण पवित्र और हल्का महसूस होता है.

शास्त्रों में हवन (Havan)
हवन किसी भी कारण से किया जाए लेकिन उसमें आम की लकड़ी का इस्तेमाल करना बेहद शुभ होता है. हवन में आम की लकड़ी के साथ धूप, देवदारों की लकड़ियां, कपूर, गुलाब की पंखुड़ी, चंदन, अक्षत, लोबान और फूल मिलाकर हवन किया जाता है. शास्त्रों में हवन को लेकर बताया गया है कि हवन करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. जिस स्थान पर हवन किया जाता है, वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.

अन्य लकड़ी क्यों नहीं?
विशेषज्ञों का कहना है कि कई लकड़ियां अत्यधिक धुआं, प्रदूषण या तीखी गंध पैदा करती हैं, जो हवन के ऊर्जा-चक्र को बाधित करती हैं. जबकि आम की लकड़ी मध्यम धुआँ देती है, विषैले तत्व नहीं छोड़ती, सुगंध हल्की और सात्विक होती है, मंत्र जाप के कंपन को बढ़ाती है.

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