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प्रसाद Home लाना क्यों माना जाता है बेहद पवित्र? जानिए

Importance of Prasad in Hinduism: भारत में मंदिरों से मिलने वाला प्रसाद केवल भोजन नहीं, बल्कि आस्था, आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. कई लोगों के मन में सवाल होता है कि क्या प्रसाद को घर लाना चाहिए या मंदिर में ही ग्रहण कर लेना चाहिए, धार्मिक मान्यताओं और पुरानी परंपराओं के अनुसार, प्रसाद को घर लाना बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि यह पूरे परिवार के लिए दिव्य ऊर्जा लेकर आता है.

प्रसाद घर लाना क्यों होता है पवित्र?
प्रसाद देवता का आशीर्वाद माना जाता है- हिंदू परंपरा में प्रसाद को ईश्वर का आशीर्वाद माना जाता है, इसे घर लाकर परिवार के सदस्यों को खिलाना ऐसा माना जाता है जैसे ईश्वर का आशीर्वाद हर व्यक्ति तक पहुँच रहा हो.

परिवार में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है- प्रसाद को मंदिर में पूजा के बाद पवित्र ऊर्जा प्राप्त होती है, मान्यता है कि इसे घर लाने से वातावरण शांति, सकारात्मकता और सुख-समृद्धि से भर जाता है.

हर सदस्य को मिलता है दिव्य लाभ- अक्सर ऐसा होता है कि परिवार के सभी लोग मंदिर नहीं जा पाते, ऐसे में प्रसाद घर लाकर सबको खिलाना बराबरी का आशीर्वाद दिलाने जैसा माना जाता है.

परंपरा और संस्कृति का हिस्सा- प्राचीन काल से ही लोग मंदिर से लौटते समय प्रसाद घर लेकर जाते थे। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे शुभ संकेत माना जाता है.

प्रसाद बाँटना पुण्य माना जाता है- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रसाद का बाँटना दान के समान फल देता है, इसे घर लाने से आप न केवल खुद ग्रहण करते हैं, बल्कि इसे दूसरों के साथ बांटकर पुण्य भी प्राप्त करते हैं.

क्या हर तरह का प्रसाद घर लाना चाहिए?
सूखे प्रसाद (लड्डू, नारियल, मिठाई) घर आसानी से लाए जा सकते हैं, गीले या जल्दी खराब होने वाले प्रसाद को संभलकर रखें, प्रसाद को हमेशा साफ-सुथरे हाथों से और सम्मान के साथ ग्रहण करें.

ध्यान रखें ये बातें
प्रसाद को घर लाने के बाद साफ थाली में रखें, किसी भी तरह की नकारात्मक भावना या तनाव के साथ इसे न अपनाएं, प्रसाद को कभी खराब न होने दें, समय से खा लें या बांट दें. प्रसाद घर लाना केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि ऊर्जा, परंपरा और आशीर्वाद का मेल है, यह घर में खुशी, शांति और दिव्यता का मार्ग खोलने का एक सुंदर माध्यम माना जाता है.

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