दशहरे का पर्व न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि इस दिन किए जाने वाले विशेष पूजन से जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है. इनमें सबसे खास मानी जाती है शमी पूजा, मान्यता है कि दशहरे पर शमी की पूजा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
शमी वृक्ष का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में शमी वृक्ष को बेहद पवित्र माना गया है, भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पहले शमी वृक्ष की पूजा की थी. महाभारत काल में पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी वृक्ष में छिपाए थे और विजय प्राप्ति से पहले उसी वृक्ष की पूजा की थी. तभी से शमी पूजा का महत्व और भी बढ़ गया.
माता लक्ष्मी और शमी का संबंध
माना जाता है कि शमी का पेड़ मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है. शमी पूजा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. यही कारण है कि दशहरे के दिन शमी पूजा कर इसे घर में लाना शुभ माना जाता है.
दशहरे पर शमी पूजा की विधि
दशहरे के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, शमी वृक्ष के पास दीपक और धूप जलाकर पूजा करें. हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें. शमी के पत्तों को “स्वर्णपत्र” मानकर देवी-देवताओं को चढ़ाएं. परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें और मां लक्ष्मी का स्मरण करें.
शमी पूजा से मिलने वाले लाभ
घर में धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है, कार्यों में सफलता और विजय प्राप्त होती है, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं दूर होती हैं, माता लक्ष्मी का स्थायी आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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