भारतीय परंपरा में बर्तनों का महत्व सिर्फ खाना बनाने या खाने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इन्हें धार्मिक और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ भी माना गया है. खासतौर पर पीतल (Brass) के बर्तन, जिन्हें प्राचीन काल से ही शुभ और पवित्र माना जाता है. आइए जानते हैं पीतल के बर्तनों की खासियत और उनका उपयोग.
पीतल के बर्तनों को क्यों माना जाता है पवित्र?
1. धार्मिक महत्व – पूजा-पाठ, यज्ञ और धार्मिक आयोजनों में पीतल के कलश, थाली और लोटा का उपयोग किया जाता है.
2. शुभता का प्रतीक – वास्तु शास्त्र में पीतल को सकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाला धातु माना गया है.
3. पारंपरिक मान्यता – मान्यता है कि पीतल का जल या प्रसाद ग्रहण करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
4. देवी-देवताओं को प्रिय – कई ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि देवी-देवताओं को पीतल के बर्तन अर्पित करना शुभ होता है.
किस काम में कर सकते हैं यूज?
1. पूजा-पाठ में – कलश स्थापना, जल अर्पण और प्रसाद चढ़ाने के लिए.
2. पानी पीने में – पीतल के लोटे या गिलास से पानी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है.
3. भोजन परोसने में – थाली और कटोरी में खाना परोसना शुभ और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है.
4. सजावट में – घर की सजावट और धार्मिक कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाने के लिए पीतल के दीपक और बर्तन आज भी उपयोग होते हैं.
5. स्वास्थ्य लाभ के लिए – आयुर्वेद के अनुसार पीतल में रखे पानी से शरीर को तांबे और जिंक जैसे तत्व मिलते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.
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