हिंदू धर्म में जितिया व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत) का विशेष महत्व है. यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. इस व्रत के दौरान महिलाएं संतान की रक्षा का प्रतीक जितिया धागा (सूत्र) बांधती हैं. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह धागा कब और कैसे उतारना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि इस धागे को गलत तरीके से उतारा जाए तो इसका शुभ फल अधूरा रह सकता है.
कब उतारें जितिया व्रत का धागा?
व्रत पूर्ण होने के बाद यह धागा व्रत के समापन के अगले दिन या किसी शुभ अवसर पर उतारना चाहिए, पंडितों की मान्यता के अनुसार इसे अमावस्या या पूर्णिमा के दिन उतारना सबसे उत्तम माना गया है. ध्यान रखें, इसे अचानक या जल्दबाजी में नहीं उतारना चाहिए.
कहां रखें जितिया व्रत का धागा?
पूजा स्थान पर- उतारने के बाद धागे को घर के मंदिर या पूजा स्थल में रख देना चाहिए.
पवित्र जल में प्रवाहित करें- गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में प्रवाहित करना श्रेष्ठ माना जाता है.
पेड़ के नीचे रखें- पीपल या तुलसी के पौधे के नीचे रखने से भी शुभ फल मिलता है.
कभी भी फेंकें नहीं- मान्यता है कि धागे को कूड़े या गंदे स्थान पर फेंकना अशुभ होता है और इससे व्रत का फल कम हो सकता है.
धार्मिक मान्यता
जितिया का धागा केवल एक सूत्र नहीं बल्कि मां और संतान के बीच अटूट बंधन का प्रतीक माना जाता है, इसे उतारते समय संतान के नाम का स्मरण करना चाहिए, उतारने के बाद संतान के लिए आशीर्वाद स्वरूप पूजा कर दान देना भी शुभ माना जाता है.
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