हर वर्ष की तरह इस बार भी वाल्मीकि जयंती 2025 बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाएगी, महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि यानी हिंदी-संस्कृत साहित्य का पहला कवि माना जाता है. उन्होंने रामायण जैसी महान ग्रंथ की रचना की, जो आज भी धर्म, सत्य और मानवता का प्रतीक है.
कौन थे महर्षि वाल्मीकि?
महर्षि वाल्मीकि का वास्तविक नाम रत्नाकर था. कहा जाता है कि वह प्रारंभ में एक डाकू थे, जो लोगों को लूटकर अपना जीवन चलाते थे. एक दिन नारद मुनि से मुलाकात के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया. जब उन्होंने ध्यान और तपस्या शुरू की, तो वर्षों की साधना के बाद वे एक महान ऋषि बन गए.
कैसे बने रामायण के रचयिता?
गहन तपस्या और ध्यान के दौरान महर्षि वाल्मीकि को भगवान राम की कथा का दिव्य ज्ञान हुआ, उन्होंने उस कथा को अपने शब्दों में पिरोकर ‘रामायण’ की रचना की, जो संस्कृत साहित्य का पहला महाकाव्य माना जाता है. इसी कारण उन्हें आदिकवि कहा गया.
वाल्मीकि जयंती का महत्व
वाल्मीकि जयंती हमें सिखाती है कि कोई भी व्यक्ति अपने कर्मों और संकल्प से महान बन सकता है. रत्नाकर से वाल्मीकि बनने की उनकी जीवन यात्रा हर इंसान के लिए प्रेरणा है.
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