शारदीय नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन करने की परंपरा बहुत प्रसिद्ध है, इसे मां दुर्गा की आराधना का खास हिस्सा माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन कन्याओं की सेवा करने और उनका पूजन करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
कन्या पूजन का महत्व
मां दुर्गा का प्रतीक: कन्याएं मां दुर्गा का रूप मानी जाती हैं.
सकारात्मक ऊर्जा: कन्या पूजन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
सौभाग्य और आशीर्वाद: भक्तों का मानना है कि इससे परिवार में सौभाग्य और सुख-समृद्धि आती है.
कन्या पूजन की आसान विधि
- पूजा की तैयारी
घर को साफ-सुथरा करें, पूजा स्थल पर पीला या लाल रंग की चादर बिछाएं. कलश, दीपक, फूल और सिंदूर तैयार रखें. - कन्याओं का स्वागत
अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं का सम्मानपूर्वक स्वागत करें. उनके पैर धोकर साफ कपड़े पहनाएं. - पूजा और भोग अर्पित करें
कन्याओं को हल्का भोजन या प्रसाद (खिचड़ी, फल, मिठाई) अर्पित करें. सिंदूर, चावल और फूल चढ़ाएं. मंत्र या आरती करें. “ॐ देवी कन्यायै नमः” - दान और आशीर्वाद
कन्याओं को भोजन और उपहार दें, उनका आशीर्वाद ग्रहण करें.
सरल उपाय
भक्तिभाव से करें पूजा – जल्दी या अधूरी पूजा न करें.
शुद्ध मन रखें – पूजा करते समय किसी तरह का क्रोध या झगड़ा न करें.
साफ-सुथरे कपड़े पहनें – पूजा का माहौल पवित्र बनाएं.
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