शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है. ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि की पूजा कलश स्थापना के बिना अधूरी मानी जाती है. शास्त्रों में कलश को शक्ति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक बताया गया है, इसी कारण नवरात्रि पर कलश स्थापना का विशेष महत्व है.
कलश का धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार कलश में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है. कलश के जल में गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों का निवास होता है. वहीं, नारियल को देवी शक्ति का स्वरूप माना जाता है, यही कारण है कि नवरात्रि में कलश स्थापित करके माता दुर्गा का आह्वान किया जाता है.
सकारात्मक ऊर्जा का विज्ञान
आस्था के साथ-साथ विज्ञान भी मानता है कि कलश स्थापना घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है. जल से भरा कलश नमी और ठंडक प्रदान करता है, वहीं उस पर रखा नारियल और आम की पत्तियां ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने में मदद करती हैं. इससे वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है.
कैसे करें कलश स्थापना?
शुभ मुहूर्त में मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें जौ बोएं, इसके ऊपर जल से भरा कलश रखें, कलश के मुंह पर आम की पत्तियां रखें और ऊपर नारियल स्थापित करें, कलश पर रोली, मौली और स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं, स्थापना के बाद देवी दुर्गा का आह्वान करें और पूरे नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाएं.
कलश स्थापना से मिलने वाले लाभ
घर में आती है शांति और सुख-समृद्धि, नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता बढ़ती है, परिवार में सामंजस्य और एकता बनी रहती है, आर्थिक बाधाओं का निवारण होता है, देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है.
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