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क्या आप जानते हैं? दशहरे पर रावण पूजन क्यों किया जाता है

RavanPoojan

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, यह त्योहार रामायण की कथा से जुड़ा हुआ है. जिसमें भगवान राम ने रावण का वध कर सीता माता को बचाया था. अधिकांश लोग दशहरे पर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण की बड़ी प्रतिमाएं जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाते हैं. लेकिन कुछ जगहों पर रावण पूजन की परंपरा भी देखने को मिलती है.

रावण पूजन की परंपरा

कहां होती है यह पूजा- रावण पूजन मुख्य रूप से उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में होती है, कुछ लोग इसे अपने पूर्वजों और देवी-देवताओं की कृपा के लिए करते हैं.

पूजा का महत्व- रावण पूजन बुराई के प्रतीक को सम्मान देने की बजाय उसकी विद्वत्ता, शक्ति और ज्ञान के पहलुओं का स्मरण करने के लिए की जाती है. रावण को संगीत, आयुर्वेद और विद्या में निपुण माना जाता है. कुछ लोग इसे कुशलता और विद्या के प्रतीक के रूप में मानते हैं.

कैसे होती है पूजा
रावण की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर, फलों और फूलों का भोग अर्पित किया जाता है. मंत्रों और श्लोकों के माध्यम से उसकी विद्या, शक्ति और ज्ञान की प्रशंसा की जाती है.

धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश
रावण पूजन यह सिखाता है कि बुराई पर विजय महत्वपूर्ण है, लेकिन बुराई के कुछ गुणों से सीख लेना भी जरूरी है, यह संतुलन और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है.

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