आज से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुकी है. ये महापर्व चार दिनों का होता है. आज नहाय-खाय है. कल खरना होगा. परसो अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद 28 अक्टूबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा संपन्न हो जाएगी. इस महापर्व में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस पर्व का भारत के कई राज्यों में विशेष महत्व है. यह पर्व न सिर्फ सूर्यदेव की उपासना का प्रतीक है, बल्कि इसमें की जाने वाली हर परंपरा का अपना विशेष धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है, इन परंपराओं में एक है — सुपे का उपयोग, लेकिन सवाल उठता है कि छठ पूजा में बांस का सुपा शुभ होता है या पीतल का? आइए जानते हैं इसके पीछे की मान्यता और महत्व.
Bihar : नहाए-खाए से शुरू हुआ छठ महापर्व, व्रतियों ने सूर्य को अर्पित किया कद्दू-भात का प्रसाद!
बांस के सुपे का धार्मिक महत्व
परंपरागत रूप से छठ पूजा में बांस से बने सुपे का इस्तेमाल किया जाता है, बांस को भारतीय संस्कृति में पवित्र और शुद्ध माना गया है. कहा जाता है कि बांस में ऐसी जीवन ऊर्जा होती है जो वातावरण को सकारात्मक बनाती है. छठ पूजा में जब व्रती सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं, तो बांस के सुपे में ठेकुआ, फल और पूजा सामग्री रखी जाती है, यह प्राकृतिक और सात्त्विक तत्वों का प्रतीक है, जिससे पूजा का प्रभाव और अधिक बढ़ता है.
पीतल के सुपे का बढ़ता चलन
आधुनिक समय में कई लोग पीतल के सुपे का भी उपयोग करने लगे हैं. पीतल को भी हिंदू धर्म में शुभ धातु माना गया है क्योंकि इसमें ग्रह दोषों को शांत करने और ऊर्जा संतुलित करने की क्षमता होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि पीतल के सुपे में पूजा सामग्री रखने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि पीतल स्वयं सूर्य धातु मानी जाती है.
कौन सा सुपा है अधिक शुभ?
पंडितों के अनुसार, छठ पूजा में बांस का सुपा सर्वोत्तम और परंपरागत रूप से अधिक शुभ माना जाता है. हालांकि, अगर किसी कारणवश बांस का सुपा उपलब्ध न हो, तो पीतल का सुपा भी उपयोग किया जा सकता है. मुख्य बात यह है कि सुपा शुद्ध, साफ और आस्था से भरा हुआ होना चाहिए, क्योंकि छठ पूजा में भावनाओं की पवित्रता ही सबसे बड़ा महत्व रखती है.
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