सदियों से हिंदू धर्म में अस्थि विसर्जन की परंपरा चली आ रही है. जब किसी व्यक्ति का देहांत हो जाता है, तो उनकी अस्थियों को गंगा नदी में बहाया जाता है. यह सिर्फ एक धार्मिक रीति नहीं, बल्कि इसमें छिपे हैं गहरे आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण. आखिर गंगा जल में अस्थियां डालते ही ऐसा क्या होता है, आइए इस आर्टिकल मे जानतें हैं.
गंगा को क्यों माना जाता है पवित्र?
हिंदू शास्त्रों में गंगा को “भागीरथी”, “पाप नाशिनी” और “मोक्षदायिनी” कहा गया है, मान्यता है कि गंगा के जल में ऐसी दिव्य ऊर्जा होती है जो आत्मा को अगले लोक की यात्रा में शांति और मार्गदर्शन देती है. गंगा जल को मृतात्मा के मोक्ष का सेतु माना जाता है.
अस्थियां गंगा जल में जाते ही क्या होता है?
1. जल में तुरंत शुरू होती है प्राकृतिक शुद्धिकरण प्रक्रिया
गंगा जल में पाए जाने वाले विशेष जीवाणुनाशक तत्व (बैक्टीरियोफेज) अस्थियों को सड़ने या बदबू फैलने नहीं देते, इस कारण अस्थियां जल्दी घुलती-समाती हैं.
2. अस्थियों के कण पर्यावरण में मिश्रित हो जाते हैं
गंगा की तेज धारा अस्थियों को अलग-अलग कणों में तोड़कर प्रकृति में मिलाती है, यह प्रक्रिया प्राकृतिक पुनर्चक्रण (natural recycling) कहलाती है.
3. धार्मिक मान्यता—आत्मा को मिलता है मोक्ष
मान्यता है कि अस्थियां गंगा में गिरते ही आत्मा के पाप धुल जाते हैं और उसका मार्ग अगले लोक की ओर सरल हो जाता है. हरिद्वार, काशी और प्रयागराज को इसलिए मोक्षभूमि माना गया है.
गंगा में ही अस्थि विसर्जन क्यों?
1. गंगा जल खुद को लंबे समय तक शुद्ध बनाए रखता है– दूसरे जल स्रोतों के मुकाबले गंगा के पानी में खराब होने की क्षमता लगभग नहीं के बराबर होती है.
2. धार्मिक महत्व—सहस्रों वर्षों से चली परंपरा– पुराणों में वर्णित है कि गंगा में विसर्जन करने से मृतात्मा को सीधा लोक प्राप्त होता है.
3. भूगोल और धारा संरचना– हिमालय से निकलकर लंबी यात्रा करने वाली गंगा की धारा अस्थियों के विघटन को तेज करती है.
4. वैज्ञानिक कारण—माइक्रोबियल एक्शन– गंगा जल में जो माइक्रोऑर्गैनिज़्म पाए जाते हैं, वे अस्थियों को धीरे-धीरे प्राकृतिक तत्वों में बदल देते हैं.
5. भावनात्मक जुड़ाव– भारतीय परिवार गंगा को मां मानते हैं, इसलिए अपने प्रियजन के अंतिम अवशेष उसी में मिलाते हैं.
कहां किया जाता है सबसे ज्यादा अस्थि विसर्जन?
हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, गया, ऋषिकेश, इन स्थानों को पवित्र ‘तीर्थ’ इसलिए माना जाता है क्योंकि यहां गंगा की धारा सबसे शुद्ध और शक्तिशाली मानी जाती है.
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