बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए शेखपुरा विधानसभा सीट पर राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं. इस सीट पर एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] के बीच कड़ी टक्कर होने वाली है. रघुनाथपुर क्षेत्र की तरह, शेखपुरा में भी विजय कुमार उर्फ विजय सम्राट और रणधीर कुमार सोनी आमने-सामने हैं.
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RJD ने लगातार दूसरे चुनाव में विजय सम्राट पर भरोसा जताया है. 2020 में उन्होंने पहली बार राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और JDU के वरिष्ठ नेता रणधीर कुमार सोनी को लगभग 6,000 वोटों के अंतर से हराया. विजय सम्राट के समर्थक उन्हें युवा और सक्रिय नेता के रूप में देखते हैं, जिन्होंने क्षेत्र में कई विकास कार्य किए हैं. वहीं JDU ने इस बार भी रणधीर कुमार सोनी को मैदान में उतारा है. सोनी 2010 और 2015 में शेखपुरा से जीत चुके हैं और उनकी छवि क्षेत्र में अनुभवी और जनता के बीच सक्रिय नेता की है.

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निर्दलीय उम्मीदवार विजय कुमार उर्फ विजय सर भी चुनावी मैदान में हैं. पेशे से शिक्षक विजय सर ने पहली बार राजनीति में कदम रखा है और क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के आधार पर जनता के बीच अपनी पैठ बनाई है. उन्होंने अपनी पत्नी रश्मि कुमारी को शेखपुरा नगर परिषद का चेयरमैन बनाया है.
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शेखपुरा का ऐतिहासिक और प्रशासनिक पृष्ठभूमि
शेखपुरा को जुलाई 1994 में मुंगेर से अलग कर नया जिला बनाया गया. जिले के गठन के पीछे स्थानीय नेता राजो सिंह (राजो बाबू) का महत्वपूर्ण योगदान रहा. जनसंख्या के लिहाज से यह बिहार का सबसे छोटा जिला है. जिला बनने का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में विकास और समृद्धि को बढ़ावा देना था, लेकिन आज तक यह सपना अधूरा माना जाता है. शेखपुरा आज भी भारत के 250 सबसे पिछड़े और गरीब जिलों में शामिल है और यह केंद्र सरकार के Backward Regions Grant Fund Programme के तहत सहायता प्राप्त करता है.
भौगोलिक रूप से शेखपुरा का उत्तर नालंदा और पटना, दक्षिण नवादा और जमुई, पूर्व लखीसराय और पश्चिम नालंदा एवं नवादा से घिरा है. भूमि समतल है, लेकिन दक्षिणी क्षेत्रों में कुछ छोटे पहाड़ियां भी हैं. नदियाँ जैसे सोनय, करिहारी, टांटी और कच्ची वर्षा ऋतु में बहती हैं. कृषि यहाँ की प्रमुख आजीविका है, जबकि खनन और स्टोन क्रशर जैसे छोटे उद्योग रोजगार का साधन हैं.
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शेखपुरा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. स्थानीय मान्यता है कि भीम की पत्नी हिडिंबा यहाँ के गिरिहिंडा पहाड़ियों में रहती थीं और उनका पुत्र घटोत्कच कौरव-पांडव युद्ध में वीर योद्धा के रूप में लड़ा था. नगर की स्थापना सूफी संत हजरत मखदूम शाह शोएब ने की थी. शेखपुरा का नाम उनके सम्मान में रखा गया.
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विधानसभा क्षेत्र और मतदान आंकड़े
शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह जमुई लोकसभा क्षेत्र के छह भागों में से एक है. 2020 में यहाँ 2,56,789 मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 2,62,743 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता 19.2% और मुस्लिम मतदाता 8.5% हैं. क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, शहरी मतदाता केवल 18.45% हैं. पिछले तीन चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 55% के आसपास रहा, जिसमें 2020 में यह 56.28% था.
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शेखपुरा का राजनीतिक इतिहास और प्रमुख विधायक
शेखपुरा विधानसभा सीट पर अब तक 19 चुनाव हुए हैं, जिसमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं. यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है, जिसने 12 बार जीत दर्ज की. 1967, 1969, 1972 में यह सीट CPI के कब्जे में रही. जनता दल (यू) ने दो बार, निर्दलीय एक बार और RJD ने एक बार जीत हासिल की.
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सबसे बड़ा नाम इस क्षेत्र में राजो सिंह (राजो बाबू) का रहा, जिन्होंने पांच बार यह सीट जीती, एक बार निर्दलीय के रूप में. उनके पुत्र संजय सिंह और पुत्रवधू सुनीला देवी ने दो-दो बार जीत हासिल की. इस परिवार ने लगभग 33 वर्षों तक इस क्षेत्र पर राजनीतिक प्रभाव बनाए रखा.
2010 और 2015 में JD(U) के रणधीर कुमार सोनी ने जीत दर्ज की. 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की वजह से वोट बंटने से RJD के विजय कुमार ने जीत हासिल की.
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आगामी चुनाव 2025 की संभावनाएँ
शेखपुरा में 2025 का विधानसभा चुनाव कड़ा मुकाबला साबित हो सकता है. RJD और JD(U) के बीच पारंपरिक प्रतिस्पर्धा के अलावा, निर्दलीय विजय सर की एंट्री चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार वोटर जुटाव (mobilization) निर्णायक भूमिका निभाएगा, खासकर वे मतदाता जिन्होंने 2020 में मतदान नहीं किया था.
शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता अब जाति और परिवार की राजनीति से ऊपर उठकर, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान देंगे.
शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य इसे और भी रोचक बनाता है. इस सीट पर विजय सम्राट और रणधीर कुमार सोनी के बीच होने वाला मुकाबला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का प्रमुख आकर्षण होगा.
कुल मिलाकर, यह क्षेत्र विकास और राजनीति के मिश्रण का प्रतीक है, जहाँ जनता का निर्णय भविष्य की दिशा तय करेगा.
