प्रतापगढ़: कुंडा के परानूपुर गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन सोमवार को श्रोताओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. कथा वाचक पूज्य श्री राजन जी महाराज ने कथा का शुभारंभ भगवान राम महिमा के साथ किया और राम जन्मोत्सव का मार्मिक वर्णन किया.
भगवान शिव और रामकथा का रहस्य
राजन जी महाराज ने कहा कि भगवान शिव ने ही रामकथा की रचना की थी और इसे सबसे पहले माता पार्वती को सुनाया गया. उन्होंने बताया कि शिव द्वारा रचित इस कथा में एक करोड़ श्लोक थे, जिन्हें देवताओं, दानवों और मनुष्यों में समान रूप से बांटा गया. अंत में बचे दो शब्द ‘राम’ को किसी को नहीं दिया गया, क्योंकि यह स्वयं मोक्ष का मूल है.
धर्म और जीवन की शिक्षा
महाराज ने श्रोताओं को बताया कि निज धर्म का पालन करना और सदा शुभ आचरण में रहना ही जीवन का परम धर्म है. रामायण मनुष्य को वेदों, गीता और भक्ति के सागर में डुबोती है. उन्होंने प्रेरित करते हुए कहा कि दूसरों की अच्छाइयों की चर्चा करना और अच्छाई को जागृत करना ही सच्चा मानव धर्म है.
तुलसीदास जी और सनातन धर्म का संदेश
कथा के दौरान पूज्य महाराज ने गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म प्रसंग का भी आध्यात्मिक वर्णन किया, उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जन्म लेना परम सौभाग्य की बात है, इसके साथ ही उन्होंने हिन्दू समाज को संगठित और जागरूक रहने का संदेश दिया तथा धर्म बदलने वालों की आलोचना की.
भीड़ और व्यवस्थापना
तीसरे दिन कथा स्थल पर श्रोताओं की भीड़ इतनी अधिक रही कि पूरा टेंट परिसर छोटा पड़ गया. बैठने की जगह न मिलने से अव्यवस्था फैली और कई भक्तों ने खड़े होकर कथा का आनंद लिया.
दूर-दराज से पहुंचे भक्त
रायबरेली, सुल्तानपुर, कौशांबी और प्रयागराज जैसे जनपदों से बड़ी संख्या में लोग कथा श्रवण के लिए पहुंचे. रायबरेली से राजकुमार सिंह, सुल्तानपुर से ओम प्रकाश पांडेय, जेठवारा से सावित्री देवी, बिसहिया से धर्मादेवी पांडेय और गीता देवी ने बताया कि वे दूर-दराज से कथा सुनने आए हैं.
रिपोर्ट- केशव पांडे प्रतापगढ़
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