हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी महीना माना गया है. इस महीने को भगवान विष्णु की विशेष आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय कहा गया है. शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना अधिक मिलता है. लेकिन इस दौरान कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करने से भगवान विष्णु अप्रसन्न हो जाते हैं और इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ सकता है.
इन कार्यों से रहें दूर
मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करें — कार्तिक मास में तामसिक आहार, जैसे मांस, मछली, प्याज, लहसुन आदि का सेवन वर्जित माना गया है, ये शरीर और मन दोनों को अशुद्ध करते हैं.
बाल और नाखून काटने से बचें — मान्यता है कि इस महीने में बाल या नाखून काटना शुभ नहीं होता, यह व्यक्ति के सौभाग्य और आयु को प्रभावित कर सकता है.
झूठ, क्रोध और अपशब्दों से दूर रहें — कार्तिक मास को आत्मसंयम का महीना कहा गया है. झूठ बोलना, दूसरों को अपमानित करना या क्रोध करना इस पवित्र महीने की ऊर्जा को नष्ट करता है.
रात्रि में देर तक जागना और देर से उठना अशुभ माना गया है- शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्ममुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. देर रात तक जागने से शरीर और मन की शुद्धि प्रभावित होती है.
दान-पुण्य और स्नान से न करें लापरवाही — गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान, दीपदान और ब्राह्मणों को दान करना इस माह में अत्यंत शुभ माना गया है, इसे टालना पाप के समान समझा गया है.
क्या करें इस माह में
कार्तिक मास में तुलसी पूजा, दीपदान, हरि नाम संकीर्तन, एकादशी व्रत, और सत्य-आचरण को विशेष महत्व दिया गया है. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस महीने में श्रीहरि के नाम का जाप और गीता पाठ अत्यंत फलदायी होता है.
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