हिंदू पंचांग में कार्तिक मास को विशेष पवित्र माना जाता है. इसे भगवान विष्णु और अन्य देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति के महीने के रूप में मनाया जाता है. इसी कारण धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि कार्तिक मास में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए. आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक और सांस्कृतिक वजहें.
धार्मिक मान्यता
पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक: धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में की गई हर पूजा और कार्य पवित्रता और सौभाग्य लाता है. बाल और नाखून काटना एक प्रकार से शरीर की पवित्रता को छेड़ने जैसा माना जाता है.
भगवान विष्णु की विशेष कृपा: हिंदू धर्म में कार्तिक मास को भगवान विष्णु का महीना माना जाता है, इस महीने में शरीर को साफ-सुथरा और संजोया रखना भगवान की कृपा प्राप्त करने का तरीका माना जाता है. बाल और नाखून काटना इसे बाधित कर सकता है.
स्वास्थ्य और ऊर्जा का ध्यान: पुराणों में यह भी कहा गया है कि इस महीने में शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को बनाए रखना जरूरी है. बाल और नाखून काटना इसे कम कर सकता है.
तात्कालिक हानि और अपशकुन: कुछ धार्मिक विद्वान मानते हैं कि कार्तिक मास में नाखून और बाल काटने से अपशकुन या छोटे-मोटे नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए श्रद्धालु इसे टालते हैं.
सांस्कृतिक परंपरा और अनुशासन: धार्मिक रीति-रिवाजों में अनुशासन और संयम का बहुत महत्व है, कार्तिक मास में नाखून और बाल न काटना एक प्रकार से संयम और परंपरा का पालन माना जाता है.
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