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करवा चौथ का असली रहस्य — किस देवता की करनी चाहिए पूजा?

Karva Chauth

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है. इस दिन महिलाएँ पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं — करवा चौथ पर केवल चांद की पूजा ही नहीं होती, बल्कि एक विशेष देवता की आराधना भी की जाती है.

किस देवता की की जाती है पूजा?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, करवा चौथ पर भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है.
माना जाता है कि माता पार्वती ने ही सबसे पहले यह व्रत रखा था, इसलिए सुहागिन महिलाएं इस दिन गौरी-शंकर रूप की पूजा करती हैं. चांद को अर्घ्य देने से पहले महिलाएँ माता पार्वती और भगवान शिव का स्मरण करती हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे.

पुराणों में क्या लिखा है?
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि करवा चौथ का व्रत सतयुग से प्रचलित है. कथा के अनुसार, एक स्त्री ने अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा था, लेकिन गलती से उसने व्रत तोड़ दिया — जिससे उसके पति को मृत्यु का सामना करना पड़ा. इसके बाद माता पार्वती ने उसे व्रत की सही विधि बताई, और तभी से यह परंपरा चली आ रही है. इसलिए करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव-पार्वती की आराधना सबसे प्रमुख मानी जाती है.

पूजा का सही समय और विधि
सुबह सरगी खाने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है, दिन में गौरी माता की पूजा कर कथा सुनी जाती है, रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है, पूजा के समय भगवान गणेश की आरती और शिव-पार्वती की प्रार्थना जरूर की जाती है.

मान्यता
माना जाता है कि करवा चौथ पर सच्चे मन से व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है, पति की उम्र लंबी होती है, और देवताओं की कृपा सदैव बनी रहती है.

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