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गाजियाबाद में अवैध होटल संचालकों पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?

गाजियाबाद में अवैध होटलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, सराय एक्ट के तहत जिले में केवल 356 होटलों के पास लाइसेंस है. जबकि लगभग 2000 से अधिक होटल बिना अनुमति के संचालित हो रहे हैं, इनमें से कई होटल रिहायशी इलाकों में खुले हैं जो नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. चिंताजनक बात यह है कि कुछ होटलों में देह व्यापार जैसी अवैध गतिविधियाँ भी चल रही हैं, जिन पर रोक लगाने की जिम्मेदारी पुलिस की है.

192 होटलों को सील किया गया, फिर भी चल रहा संचालन
जनवरी 2025 में जिला प्रशासन ने सराय एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए लगभग 192 होटलों को सील किया था, लेकिन इसके बावजूद कई होटल सील तोड़कर फिर से चालू हो गए. हाल ही में 6 अक्टूबर को शालीमार गार्डन स्थित ओर्चिड इन होटल में देह व्यापार का मामला सामने आया. इस होटल में नौकरी का झांसा देकर युवतियों को बुलाया जाता था और उनसे गलत काम करवाया जाता था.
छापेमारी के दौरान पुलिस ने DLF के इंतजार, सूर्यनगर के योगेंद्र कश्यप, खजूरी खास के भूपेंद्र सिंह, ईस्ट रोहताश नगर के प्रीतम सिंह, न्यू सीमापुरी के शिवम, सीमापुरी के निखिल कुमार और पप्पू कॉलोनी के अंकुश को गिरफ्तार किया। वहीं 7 महिलाओं को रेस्क्यू किया गया। होटल से आपत्तिजनक सामान भी बरामद हुआ.

प्रशासन ने पुलिस कमिश्नर को भेजा रिमाइंडर, फिर भी कार्रवाई ठप
अवैध होटलों और अनैतिक कार्यों पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस कमिश्नर को रिमाइंडर भेजा है, इसके बावजूद पुलिस की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. यह सवाल उठता है कि आखिर पुलिस इन होटलों को बंद कराने में असमर्थ क्यों है?
गाजियाबाद में पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब रिहायशी इलाकों में चल रहे होटल रात देर तक खुले रहते हैं और वहां अशोभनीय गतिविधियाँ होती हैं. स्थानीय RWA और सामाजिक संगठनों ने कई बार शिकायत की, लेकिन नतीजा शून्य रहा.

2000 से अधिक होटल, लेकिन लाइसेंस सिर्फ 356 के पास
गाजियाबाद में करीब 2000 होटल, गेस्ट हाउस, रिजाॅर्ट, बैंक्वेट हॉल और फार्म स्टे चल रहे हैं, लेकिन सिर्फ 356 होटलों ने ही लाइसेंस लिया है. होटल का लाइसेंस लेने के लिए पर्यटन, पुलिस, अग्निशमन, विद्युत सहित 6 विभागों से NOC लेनी होती है.
जिला प्रशासन ने सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया हुआ है ताकि प्रक्रिया आसान हो, लेकिन ज्यादातर होटल बिना अनुमति के ही चल रहे हैं. कई होटलों ने रिहायशी क्षेत्रों में नियमों को ताक पर रखकर व्यवसाय शुरू कर दिया है, देर रात तक यहाँ युवाओं का आना-जाना बना रहता है, जिससे स्थानीय माहौल पर भी असर पड़ता है.

स्थानीय लोग बोले – कार्रवाई सिर्फ कागजों में
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस सिर्फ़ कागज़ों में कार्रवाई करती है, असल में कई होटल आज भी बिना लाइसेंस खुले हैं. लोगों का सवाल है कि जब प्रशासन और पुलिस दोनों इस मुद्दे से वाकिफ हैं, तो फिर इन होटलों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा है?
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और पुलिस मिलकर गाजियाबाद में फैले इन अवैध होटलों पर कब सख़्त कार्रवाई करते हैं, या फिर यह मुद्दा भी बाकी मामलों की तरह कागजों में ही दबकर रह जाएगा.

रिपोर्ट- अम्बुज उपाध्याय

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